Sawan Somwar 2024: उन्नाव में एक ऐसा शिव मंदिर जहां राजा औरंगजेब ने मांगी थी माफी...सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद भोलेनाथ पूरी करते

महाबली भीम ने की थी भंवरेश्वर महादेव की स्थापना

Sawan Somwar 2024: उन्नाव में एक ऐसा शिव मंदिर जहां राजा औरंगजेब ने मांगी थी माफी...सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद भोलेनाथ पूरी करते

उन्नाव, अमृत विचार। जिला मुख्यालय से 64 किमी दूर मौरावां के पास तीन जिलों उन्नाव, रायबरेली व लखनऊ सीमा के बीच सई नदी तट पर कुर्री सुदौली गांव स्थित भंवरेश्वर महादेव मंदिर की महिमा निराली है। लोग बताते हैं कि यहां स्थापित शिवलिंग द्वापर युग का है। जिस समय पांडव अज्ञातवास का समय व्यतीत कर रहे थे उस समय उन्होंने जहां-जहां भी अपना रुकने का स्थान बनाया वहीं भोलेनाथ के शिवलिंग की स्थापना की थी। क्योंकि पांडवों की मां कुन्ती बिना शिव की पूजा वन्दना किये जल ग्रहण नहीं करती थीं। 

किवदंती है कि सई नदी तट पर कुन्ती की नित्य पूजा संपन्न कराने के लिए महाबली भीम ने एक बड़े पत्थर को शिवलिंग के रूप में विराजमान किया था। जिसके बाद मंत्रोच्चार के द्वारा मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद कुन्ती ने शिवलिंग का पूजन-अर्चन किया था। जिससे इनका नाम भीम के नाम पर भीमेश्वर विख्यात हुआ। जैसे-जैसे समय बदला वैसे ही वहां घना जंगल हो गया।

जहां आसपास गांव से लोग गाय चराने आते थे। तभी वहां एक गाय जहां एक खास स्थान पर आने से उसका सारा दूध स्वत: निकलने लगता था। इससे शाम के समय वह गाय दूध नहीं देती थीं। यह जानकारी होने पर लोगों ने खोजबीन की तो पता चला कि गाय अपना सारा दूध घने जंगल की झाड़ियों के बीच एक पत्थर पर चढ़ा देती है। जब उस स्थान की सफाई की गई तो वहां शिवलिंग दिखाई दिया।

शिवलिंग होने की जानकारी पर लोगों ने वहां पूजा-अर्चना शुरू कर दी। जिससे दूर-दूर के लोग यहां दर्शन करने आने लगे। इसकी जानकारी जब औरंगजेब को हुई तो उसने सेना सहित वहां पहुंचकर शिवलिंग की खुदाई करवाना शुरू कर दिया। इससे इलाके में हाहाकार मच गया। मुगल शासक औरंगजेब उस समय मंदिरों को तोड़कर उनकी शक्तियां देखना चाहता था।

मजदूर शिवलिंग को जितना खोदते अंदर वह उतना ही विशाल मिलता गया। जब शिवलिंग का अंत नहीं मिला तो औरंगजेब ने उसे तोड़ने का आदेश दिया। जब मजदूर शिवलिंग तोड़ने लगे तो वहां मौजूद भंवरों ने सैनिकों पर हमला कर दिया।

यह देख औरंगजेब ने क्षमा मांगी और वहां एक छोटी मठिया बनवाई। तभी से लोगों ने इस मंदिर का नाम भंवरेश्वर रख दिया। मंदिर का जीर्णोद्धार वहां के राजा व स्थानीय लोगों ने करवाया। आज भी यहां आने वाले शिवभक्त सई नदी में स्नान कर मंदिर की परिक्रमा करते हैं। सावन माह में लाखों श्रद्धालुओं का मंदिर में तांता लगता है। बड़ी संख्या में शिवभक्त जलाभिषेक करते हैं। मंदिर के पुजारी ने बताया कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद भोलेनाथ पूरी करते हैं।

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