बाजपुर: घटना के 48 घंटे बाद भी पकड़ से दूर हैं वन दरोगा पर हमला करने वाले आरोपी

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Published By Bhupesh Kanaujia
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बाजपुर, अमृत विचार। तस्करों की घेराबंदी कर वन संपदा बरामद करने गई वन टीम पर तस्करों द्वारा किए गए हमले में गंभीर रूप से घायल वन दारोगा हरीश चंद्र नयाल का अभी भी हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में उपचार चल रहा है। वहीं नामजद आरोपितों की धरपकड़ के लिए बेरिया दौलत चौकी पुलिस उनके घरों पर दबिश दे रही है। लेकिन घटना के 48 घंटें वीत जाने के बाद भी सभी आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर है ।

तराई वन प्रभाग में खैर की तस्करी कोई नई वात नही है चार दशक से लगातार बरहैनी पीपलपडाव वन रेंज से खैर व बन्नाखेडा वन रेज से अन्य कीमती वन संपदा की तस्करी व खनन सपंदा का दोहन हो रहा है। समय समय पर अभियान भी चलाए गए लेकिन तस्करी कुछ समय के लिए रुकी मामला ठडा पढते ही कारावार वादस्तूर जा रही।

आज भी उपरोक्त क्षेत्र मे जहां वन तस्करों का बोलवाला है तो वही खनन भी वन क्षेत्र से हो रहा है एेसे में यह कार्य किस के कही न कही तस्करो को किसी न किसी का संरक्षण है यह जांच का विषय है । जबकि इसी बरहैनी वन रेंज क्षेत्र में 21 जून 2019 को खैर की तस्करी को रोकने गए वनवीट वाचर बहादुर सिंह की तस्करोें की गोली से मौत हो गई थी,20 जनवरी 2019 को तस्करों ने जंगलात टीम पर हमला किया त तो 20 मार्च व जुलाई 2020 को दबिश के दौरान जंगलात की टीम पर तस्करों ने फायरिंग कर दी ,तस्कर जंगलात टीम से खैर के गिल्टों से भरे वाहन को भी छुडा ले गए थे।

20 सिंतबर 2021 को मझरा गदरपुर क्षेत्र में जंगलात टीम पर हमला, । 22 अप्रैल 2018 को वन विभाग की टीम के वाहन को टक्कर मारकर शीशम के गिल्टे से लदी पिकअप लेकर तस्कर फरार हो गए थे। इसके अतिरक्त बहुत से घटनाए पिछले वर्ष पीपल पडाव व अन्य रेंज में में घटी है । तराई केंद्रीय वन प्रभाग रुद्रपुर के सुरक्षा दल में शामिल वन दारोगा हरीश चंद्र नयाल ने कहा कि लगभग 15 मिनट तक पिटाई होती रही लेकिन किसी भी वन कर्मी द्वारा सहयोग नही करने से बरहैनी वन रेंज की टीम संदेह के दायरे में आ गई है और उच्चाधिकारियों को मामले से अवगत करा दिया गया है ऐसे में मामले की जांच का दायरा अव टीम के आसपास भी आ सकता है।

बताते चलें कि बरहैनी वन रेंज में बडे पैमाने पर अवैध कटान होता है इतना ही नही बोर नदी से अवैध खनन भी वन चौकी से होकर ही निकलता है लगातार वन संपदा का दोहन कही न कही विभागीय कार्याप्रणाली पर प्रश्न चिंह लगती है । इस संबंध में प्रभारी उप वन क्षेत्राधिकारी कैलाश चंद्र तिवारी ने बताया कि बरहैनी वन रेंज टीम की कार्यप्रणाली की पूरी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी गई है।

वहीं बेरिया दौलत पुलिस चौकी प्रभारी देवेंद्र सिंह मेहता ने बताया कि नामजद आरोपितों की धरपकड़ को पुलिस टीम ने आरोपितों के घरों व उनके छिपे होने के संभावित ठिकानों पर दबिश दी, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। घटना के बाद से सभी आरोपित फरार हो गए हैं। इधर घटना में गंभीर रूप से घायल वन दारोगा हरीश चंद्र नयाल का अभी भी सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी में उपचार चल रहा है बताया गया है कि उनके कान का परदा फट गया तथा चोटों की बजह से अभी हालत सामान्य नही हो पाई है। पुलिस व वन विभाग द्वारा आरोपित तस्करों का अपराधिक इतिहास भी खंगाला जा रहा है।

ये है घटनाक्रम

दो अगस्त को दिन में टीम द्वारा लगभग 40 गिलटे खैर पकडे जाने के बाद मुखविर की दूसरी सूचना पर देर रात करीब नो बजे ग्राम थापकनगला स्थित शमशान घाट के पास पहुंची ही थी कि पीले से घात लगाए बैठे लकडी तस्करो द्वारा वन टीम लाडी डंडो से हमला कर दिया जिसमें वन दारोगा हरीश चंद्र सिंह नयाल गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस ने तहरीर में नामजद ग्राम महोली जंगल निवासी जयपाल पुत्र रेशम सिंह, ग्राम थापकनगला निवासी अमनदीप पुत्र पम्मी, ग्राम हरिपुरा हरसान निवासी गुरमेज सिंह उर्फ गेजी पुत्र टहल सिंह, संगत सिंह उर्फ छग्गी व गुरदास सिंह उर्फ टीटू पुत्रगण जरनैल सिंह तथा जसविंदर सिंह उर्फ बिंदू पुत्र जग्गा के विरुद्ध मामला दर्ज कर जांच-पड़ताल शुरू कर दी।

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