खटीमा: 2011 के दोहरे हत्याकांड मामले में सात को आजीवन कारावास

खटीमा: 2011 के दोहरे हत्याकांड मामले में सात को आजीवन कारावास

खटीमा, अमृत विचार। 13 साल पुराने दोहरे हत्याकांड में आज अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मंजूनाथ मुंडे ने सात लोगों को हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और दस-दस हजार के जुर्माने की सजा सुनाई है। इस हत्याकांड में 13 लोग नामजद थे जिसमें दो आरोपियों की मौत हो चुकी है जबकि दो को बाइज़्जत बरी कर दिया गया है। वहीं तीन आरोपी नाबालिग बताए गए हैं जिनमें दो का मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है जबकि एक ने स्वयं को नाबालिग सिद्ध कर दिया है जिसका मामला बाल न्यायालय में चलेगा।
 
बड़ी बगुलिया निवासी शिव शंकर ने झनकईया थाना पुलिस को तहरीर सौंपकर कहा कि 23 नवंबर 2011 को हत्यारों ने उसके पुत्र राज किशोर और उपेंद्र पुत्र रामरक्षक को अपने घर पर फोन कर बुलाया था। अभियुक्तों को शक था कि दोनों युवकों का उनकी दो पुत्रियों के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा है। दोनों युवकों को फोन कर बुलाया गया और धारदार हथियार से व गला दबाकर दोनों युवकों की हत्या कर दी। इस मामले में पुलिस ने शिव शंकर की तहरीर पर 24 नवंबर 2011 को मुकदमा दर्ज किया गया। जिसमें अमर पुत्र सुलगन, विदेशी पुत्र सुलगन, अजय कुमार पुत्र परदेशी, परदेशी पुत्र सुलगन, दीनानाथ पुत्र सुलगन, सतेंद्र पुत्र रामाज्ञा, रामाज्ञा, रामाधार पुत्र इंद्रासन, करन यादव पु़त्र श्रीध्यान, मोहन पुत्र इंद्रासन और तीन नाबालिग सहित दस लोग नामजद किए गए थे। 
 
पुलिस ने इस मामले में 21 फरवरी 2012 को जब आरोप पत्र दाखिला किया तो तीन लोगों को और आरोपी बनाया जिसमें प्रभुनाथ पुत्र लल्लन, मुन्ना लाल पुत्र रामबड़ई निवासी ऊंची बगुलिया, पंचानन पुत्र धनपाल सिसैया बंधा शामिल थे जिन्हें 304, 201 आईपीसी में निरुद्ध किया गया। न्यायालय के विचरण के दौरान न्यायालय द्वारा एफआईआर में नामित अभियुक्तगण अजय कुमार, रामाधार, सतेंद्र, विदेशी, दीनानाथ, अमरनाथ, परदेशी, तीन नाबालिग को सह अभियुक्त बनाया। विचारण के दौरान न्यायालय के द्वारा पाया गया कि इन अभियुक्तों को 302, 201 आईपीसी का मुजरिम बनाया गया। 
 
गुरुवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुंडे ने सात आरोपी अजय कुमार, रामाधार, सतेंद्र, विदेशी, परदेशी, दीनानाथ, अमरनाथ को धारा 302 आईपीसी में आजीवन कारावास व दस-दस हजार का जुर्माना तथा धारा 201 आईपीसी में सात वर्ष का कठोर कारावास तथा पांच-पांच हजार के जुर्माने से दंडित किया गया है।
 
इस मामले में  19 गवाह सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सौरभ ओझा द्वारा प्रस्तुत किए गए। पुलिस द्वारा आरोप पत्र के नामित अभियुक्त प्रभुनाथ की दौराने विचाराधीन में मृत्यु हो चुकी है। पंचानन और पुन्ना लाल को न्यायालय ने 304, 201आईपीसी में निर्दोष घोषित किया गया है। एक आरोपी के प्रार्थना पत्र और साक्ष्यों के आधार पर उसे नाबालिग घोषित किया गया। जिसका मामला बाल न्यायालय में चलेगा। इसके अलावा दो अन्य ने स्वयं को नाबालिग सिद्ध करने के लिए उच्च न्यायालय में गुहार लगाई है। उच्च न्यायालय द्वारा उनके निर्णय पर अग्रिम आदेश तक रोक लगाने का आदेश पारित किया गया है।

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