Paris Olympics : ओलंपिक का सपना पूरा करने के लिए 6000 किमी की कठिन यात्रा...जानें अफगान जूडो खिलाड़ी की कहानी

Paris Olympics : ओलंपिक का सपना पूरा करने के लिए 6000 किमी की कठिन यात्रा...जानें अफगान जूडो खिलाड़ी की कहानी

शेटराउ (फ्रांस)। ओलंपिक खेलने पहुंचे लगभग सभी खिलाड़ियों को तैयारियों के लिए पूरी सुविधायें दी जाती हैं। लेकिन, जब खिलाड़ी युद्ध से जर्जर अफगानिस्तान जैसे देश से हो तो उसे खेलों के इस महासमर में भाग लेने का अपना सपना पूरा करने के लिए छह हजार किलोमीटर और पांच देशों की यात्रा भी करनी पड़ सकती है। 

अफगानिस्तान के जूडो खिलाड़ी सिबगातुल्लाह अरब 2021 में तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान से भाग निकले। इसके बाद पांच देशों में शरण ली और आखिर में 6000 किलोमीटर का सफर तय करके जर्मनी पहुंचे। वह अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की शरणार्थी टीम का हिस्सा हैं और पेरिस ओलंपिक में पुरूषों की जूडो स्पर्धा के 81 किलोवर्ग में उतरेंगे। अफगानिस्तान में टीवी पर जूडो की विश्व चैम्पियनशिप देखकर उन्हें इस खेल से मुहब्बत हो गई लेकिन उनके शौक को परवान चढाने का कोई जरिया नहीं था। तालिबान के कब्जे के बाद वह यूरोप भाग गए जिस समय उनकी उम्र सिर्फ 19 साल थी। 

उन्होंने कहा, जब मैंने अफगानिस्तान छोड़ा तो पता नहनीं था कि बचूंगा या नहीं। इतनी दिक्कतें झेली हैं। नौ महीने में उन्होंने ईरान, तुर्किये, यूनान, बोस्निया और स्लोवेनिया की यात्रा की और आखिर में जर्मनी में बस गए। उन्होंने कहा, रास्ते में मेरी तबीयत बहुत बिगड़ गई थी और मैं तनाव में भी था। मोंशेंग्लाबाख में एक जूडो क्लब से जुड़े इस खिलाड़ी ने मैड्रिड में 2023 यूरोपीय ओपन में सातवां स्थान हासिल किया। उन्होंने कहा, मेरे माता पिता अभी भी अफगानिस्तान में हैं और मुझसे रोज बात होती है। वे मुझे अच्छे प्रदर्शन के लिये प्रेरित करते हैं।

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