Kannauj: SDM के फर्जी हस्ताक्षर से निकलती रही आरोपी की सैलरी...जेल जाने के बाद अब इन पर हो सकती बड़ी कार्रवाई

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Published By Nitesh Mishra
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सदर तहसील में ड्यूटी से गायब रहता था समाज कल्याण विभाग का सुपरवाइजर

कन्नौज, अमृत विचार। वजीफा के लिए छात्र से रिश्वत मांगने पर जेल भेजे गए समाज कल्याण विभाग में तैनात सुपरवाइजर के मामले में एक और खुलासा हुआ है। तहसील कन्नौज में ड्यूटी से गैरहाजिर रहने के बाद भी वह वेतन पाता रहा। एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर से पे-रोल चला जाता था और वेतन उसके खाते में पहुंचता रहा। 

दरअसल, समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने कोतवाली सदर में खुद रिपोर्ट दर्ज कराई है। उसमें छात्र ममतांजय से इटावा के सैफई क्षेत्र के बखाइया निवासी आरोपी हृदेश यादव के रिश्वत लेने का जिक्र है। तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी सृष्टि अवस्थी ने शिकायतों के आधार पर विकास भवन के कार्यालय से आरोपी सुपरवाइजर हृदेश यादव को हटाकर तहसील सदर में संबद्ध कर दिया था। 

हालांकि उससे पहले तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी अंजनी कुमार ने भी उसे हटाया था। आरोप है कि इसके बाद भी वह तहसील कार्यालय में मौजूद नहीं रहता था। बताया जा रहा है कि विभाग से संबंधित जब कुछ प्रकरण तत्कालीन एसडीएम अविनाश गौतम के पास पहुंचे तो सुपरवाइजर को तलब किया गया। तब पता चला कि वह तो कार्यालय में आता ही नहीं है। 

इस वजह से एसडीएम ने उसकी हाजिरी समाज कल्याण कार्यालय में नहीं भेजी। भरोसेमंद लोगों की मानें तो सुपरवाइजर ने एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर कर खुद ही वेतन के लिए पे-रोल भेज दिया। इससे दो-तीन महीने की सैलरी निकलती रही। 

दूसरी ओर कहा जा रहा है कि जेल जाने के बाद हृदेश के खिलाफ निलंबन या बर्खास्तगी की भी कार्रवाई हो सकती है। कोतवाली निरीक्षक जेपी शर्मा ने बताया कि आरोपी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत लखनऊ जेल भेजा गया है। सीओ सदर इसकी विवेचना कर रहे हैं। 

पीड़ित का पता, महाविद्यालय नहीं जानता कोई

समाज कल्याण मंत्री से जुड़े मामले में छात्र ममतांजय से वजीफा के लिए रिश्वत लेने वाले आरोपी सुपरवाइजर को तो जेल भेज दिया गया है लेकिन पीड़ित छात्र का पता और महाविद्यालय कौन सा है यह कोई नहीं जानता है या तो जिम्मेदार बताने को तैयार नहीं हैं। 

इस बारे में सीओ सदर कमलेश कुमार का कहना है कि छात्र एलएलबी कर रहा है उसीके लिए वजीफा लेना चाहता था। जब उनसे एलएलबी या डीएलएड के लिए वजीफा लेने की बात पूछी तो एलएलबी बताया। पता पूछा तो बताया कि उसकी एफआईआर देखिए उसी में मोबाइल नंबर लिखा होगा। दूसरी ओर समाज कल्याण कार्यालय ने भी छात्र के शिक्षण संस्थान का पता होने की जानकारी से इनकार किया है।  

पीड़ित छात्र को लेकर यह भी चर्चाएं

चर्चा है कि छात्र ममतांजय तिर्वा के एक महाविद्यालय में नामांकित है। वहीं से वह डीएलएड कर रहा है। उसी ने मंत्री से शिकायत की थी। वजीफा का आवेदन निरस्त हो जाने के बाद उसका संपर्क हृदेश से हुआ था। उसने वजीफा दिलाने का आश्वासन दिया और 8250 रुपये की रिश्वत अपने खाते में ली। पता चला है कि दिल्ली विश्वविद्यालय से छात्र ने एलएलबी भी की है। वह मूल रूप से कहां का रहने वाला है इसकी पुष्टि फिलहाल कोई नहीं कर रहा है। जारी हुई विज्ञप्ति के मुताबिक वह तिर्वागंज का रहने वाला है।   

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