तो प्राधिकरण ने बिना सर्वे बना दिया 35 करोड़ का प्रोजेक्ट!..जलभराव झेल रहे हैं जलवानपुरा के बाशिंदे

तो प्राधिकरण ने बिना सर्वे बना दिया 35 करोड़ का प्रोजेक्ट!..जलभराव झेल रहे हैं जलवानपुरा के बाशिंदे

अयोध्या, अमृत विचार। अयोध्या में जलवानपुरा मुहल्ले के जलभराव से निपटने के लिए अयोध्या विकास प्राधिकरण द्वारा बनाया गया 35 करोड़ का प्रोजेक्ट सवालों से घिर गया है। बिना सर्वे कराए आनन फानन में बनाए गए इस प्रोजेक्ट को लेकर खुद प्राधिकरण के अधिकारियों को जवाब नहीं सूझ रहा है। मंगलवार को जल निकासी के लिए ट्रायल फेल होने के बाद इस महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के पूरा होने पर भी प्रश्न लगा हुआ है। हाल यह है कि स्थगन आदेश वाली भूमि पर पंप हाउस बनाने का फैसला कर लिया गया जबकि इसकी पूरी जानकारी प्राधिकरण के अधिकारियों के पास थी। बता दें कि बारिश में भीषण जलभराव को लेकर जलवानपुरा के बाशिंदे परेशानी झेल रहे हैं।
   
बीते दिनों दौरे पर आए मुख्य सचिव ने जब वहां का निरीक्षण कर जिम्मेदार अधिकारियों को फटकार लगाई तब अयोध्या विकास प्राधिकरण द्वारा आनन फानन में 35 करोड़ का एक शानदार प्रोजेक्ट बना मुख्य सचिव को परोस दिया। यहां क्षीरसागर में उस विवादित स्थगन आदेश वाली भूमि पर पंप हाउस बनाने का फैसला किया गया जिसका मामला अदालत में विचाराधीन चल रहा है। लाख टके का सवाल यही है कि जब विवादित भूमि थी तो उसका चयन प्रोजेक्ट के लिए क्यों किया गया और तत्काल ठेका भी दे दिया गया। शासन की नज़र में बेहतर बनने के लिए प्राधिकरण के अफसरों को इतनी जल्दी थी कि प्रोजेक्ट का ले - आऊट तक नहीं तैयार किया गया। 

हालत यह है कि अब खुद प्राधिकरण के अधिकारी कह रहे हैं संबधित भूमि से स्टे हटे तो पंप हाउस का निर्माण होगा, जब तक पंप हाउस नहीं बनेगा तब तक जलनिकासी पूरी तरह से नहीं हो सकती है। बता दें कि मंगलवार को तीन किलोमीटर पाइप लाइन बिछाने के दौरान ही काम की कलई खुल गई और पानी ओवरफ्लो होकर पुन: जलवानपुरा में जाने लगा। जब स्थानीय लोगों ने घेरा तो अफसर और ठेकेदार बिना कुछ बोले मौके से सरक लिए। दो मोटर लगा कर दस फिट ऊंचाई वाली पाइप लाइन से किया गया पहला ट्रायल ही फेल हो गया। साफ जाहिर है कि 35 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में भी जिम्मेदार हाथ की सफाई दिखाने से नहीं चूके। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि जल्दबाजी में और मानकों की अनदेखी के कारण ऐसा हुआ है। बिछाई गई पाइप लाइन भी गुणवत्ता प्रण नहीं है। 

सूत्र बताते हैं कि इस मामले में प्राधिकरण ने महापौर गिरीशपति त्रिपाठी से भी गोहार लगाई लेकिन चयनित भूमि पर स्थगन आदेश होने के कारण वह भी कुछ नहीं कर पाए हैं। बताया जा रहा है कि पहले ट्रायल के फेल होने के बाद प्राधिकरण ने आगे ट्रायल से हाथ भी खड़े कर लिए हैं।

वर्जन- 
जलवानपुरा में जिस भूमि पर पंप हाउस बनना है उस पर स्थगन आदेश है। प्राधिकरण द्वारा नियमित रूप से अदालत में पैरवी की जा रही है। स्थगन आदेश हटने के बाद ही पंप हाउस बन सकता है उसके निर्माण के बिना पूरी तरह से पानी निकासी नहीं हो सकती है। स्थानीय लोगों को भी स्थगन लेने वाले पर दबाव बनाना चाहिए। -सत्येंद्र कुमार सिंह, सचिव, अयोध्या विकास प्राधिकरण

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