पुलिस हिरासत में मृत्यु व प्रताड़ना पर डीजीपी का सख्त रुख : बीमारीग्रस्त अपराधी को थाने में न लाए

पुलिस हिरासत में मृत्यु व प्रताड़ना पर डीजीपी का सख्त रुख : बीमारीग्रस्त अपराधी को थाने में न लाए

अमृत विचार, लखनऊ। प्रदेश में पुलिस हिरासत में रही मौतें लगातार बढ़ रही हैं। इसको लेकर लोकसभा में एक रिपोर्ट भी पेश की गई थी, रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस हिरासत हो रही मौतों में यूपी नंबर वन पर है। वर्ष 2021-22 में उत्तर प्रदेश में 501 लोगों की मौत पुलिस हिरासत में हुई है। यह देखकर डीजीपी प्रशांत कुमार ने गुरुवार को सख्त रुख अख्तियार कर मातहतों को कड़े-निर्देश है। इसको लेकर एक एडवाइजरी भी जारी की है। इसमें साफ तौर पर निर्देशित किया है कि बीमारी अपराधी को थाने न लाया जाए। पुलिस कड़ाई के बजाय मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ करे। थानेदार या चौकी प्रभारी की अनुपस्थिति में बेवजह लोगों को थाने या चौकी लाने वाले सिपाहियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।

दरअसल, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने कहा कि किसी भी व्यक्ति या फिर अपराधी को थाने पर पूछताछ के लिए लाने से पूर्व इस बात की पुष्टि की जानी अति आवश्यक है कि क्या यह पूर्व में किसी गंभीर रोग से ग्रस्त तो नहीं है। गंभीर रोग से ग्रस्त अभियुक्त को थाने पर कदापि न लाया जाए। अगर किन्हीं कारणों से थाने लाया गया शख्स अचानक से बीमार हो जाता है, तो फौरन उसे नजदीकी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचाया जाए। इसके अलावा थाना प्रभारी अथवा चौकी प्रभारी की जानकारी के बगैर किसी को भी चौकी एवं थाने में न बैठाया जाए। यदि किसी भी शख्स को किसी कारणवश अथवा शक के आधार पर लाया गया है तो इसका समुचित ब्यौरा रजिस्टर्ड में दर्ज किया जाएगा। अगर पुलिस हिरासत में लाया गया शख्स बीमार अवस्था में है, तो उसे फौरन नजदीकी अस्पताल में पहुंचाकर उसे इलाज मुहैया कराया जाएगा।

डीजीपी ने कहा कि थाने में लाए गए अपराधी से मनोवैज्ञानिक तरीक से पूछताछ की जाएगा। इनमें पुलिसकर्मियों को धैर्य की अति आवश्यकता है। यह पूछताछ किसी जिम्मेदार अधिकारी की उपस्थित में ही की जाए। इसके अलावा अपराधी की गिरफ्तारी और हवालात में दाखिल करते समय सुप्रीम कोर्ट के डीके बसु बनाम स्टेट ऑफ बंगाल में पारित निर्णय में दिये गये निर्देशों का अक्षरशः पालन किया जाए। यही नहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार अयोग के आदेशों का अध्ययन कर उनका अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए। डीजीपी ने कहाकि, पूछताछ की प्रकिया की फोटोग्राफी के अलावा वीडियोग्राफी भी करा ली जाये, ताकि बीमार अपराधी के इलाज में किसी भी प्रकार की देरी न हो सके। अगर पुलिस हिरासत में किसी अपराधी की मौत हो जाती है तो 24 घंटे के भीतर मानवाधिकार आयोग में इसकी रिपोर्ट सौंपी जानी होगी।

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