Kanpur: जीएसटी अधिनियम में धारा 128-ए शामिल होने के आसार; सरकार बजट में कर सकती ऐलान, व्यापारियों को होगा फायदा

Kanpur: जीएसटी अधिनियम में धारा 128-ए शामिल होने के आसार; सरकार बजट में कर सकती ऐलान, व्यापारियों को होगा फायदा

कानपुर, अमृत विचार। जीएसटी काउंसिल की 53 वीं बैठक में जीएसटी अधिनियम में धारा 128-ए को शामिल करने पर विचार किया गया था, लेकिन अभी तक इस संबंध में नोटीफिकेशन या सर्कुलर जारी नहीं किया गया है। ऐसे में उम्मीद है कि बजट में सरकार धारा 128 ए को शामिल करने की घोषणा कर सकती है। 

इस धारा के लागू होने से व्यापारियों का बड़ा वर्ग लाभांवित होगा। जीएसटी विशेषज्ञ एवं कर सलाहकार मुकुंद दास गुप्ता के अनुसार उम्मीद है कि सरकार बजट में जीएसटी अधिनियम में धारा 128 ए को शामिल कर सकती है। इस धारा के तहत वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19, 2019-20 के लिए धारा 73 के अंतर्गत निकाली गई मांग से संबंधित ब्याज और पेनाल्टी या दोनों में सशर्त छूट दी जा सकती है।

एमएसएमई से माल की खरीद पर भुगतान में समय सीमा हटाई जाए

इसी तरह एमएसएमई से खरीदे गए माल का भुगतान 15 दिन के अंदर व लिखित अनुबंध होने पर अधिकतम 45 दिन में करने के नियम धारा 43 बी की उप धारा एच को एमएसएमई यूनिटों में पूंजी की तरलता उपलब्ध कराने के लिए लाया गया था, किंतु परिणाम उल्टा निकला। कारोबारी ने निर्माता पंजीकृत, माइक्रो एवं लघु एमएसएमई की यूनिटों से माल की खरीद बंद कर दी। इसका कारण यह है कि भुगतान क्रेता-विक्रेता के मध्य आपसी सहमति पर निर्भर करता है। ऐसे में वित्त मंत्री से उम्मीद है कि इस नियम को हटाया जाए।

बही खाता की अनिवार्यता 7 लाख आमदनी और 40 लाख बिक्री पर करें

इसी प्रकार आयकर अधिनियम की धारा 44 एए के अंतर्गत अनिवार्य रूप से बही खाता रखने के नियम में धनराशि की सीमा में बढ़ोतरी की आवश्यकता है। आमदनी की सीमा कम से कम 7 लाख तथा विक्रय धन की सीमा कम से कम 40 लाख रखनी होगी। 

कर सलाहकार ने बताया कि कारोबारी खर्च के मद में धारा 40 ए (3) में नकद भुगतान सीमा 10 हजार है। इसे बढ़ाकर कम से कम 30 हजार किया जाना चाहिए। पार्टनरशिप फर्म के मामले में आयकर की वर्तमान दर 30 फीसद है, जिसे घटाकर बिना शर्त 25 फीसद किए जाने की आवश्यकता है। इसी तरह ट्रांसपोर्टर भाड़े की सीमा कम से कम 35 हजार से बढ़ाकर 50 हजार किया जाना चाहिए।

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