Mutaul Fund में ‘शैम्पू मॉडल’ अपनाने पर SEBI कर रहा विचार, लागू होने पर कैसे होगी गरीबों की मदद? यहां पढ़ें...

Mutaul Fund में ‘शैम्पू मॉडल’ अपनाने पर SEBI कर रहा विचार, लागू होने पर कैसे होगी गरीबों की मदद? यहां पढ़ें...

कानपुर, अमृत विचार। किसी समय में अमीर लोगों के इस्तेमाल का प्रोडक्ट समझे जाने वाले शैम्पू के बाजार में तब क्रांति आई, जब इसका सैशे बाजार में आया। इसके बाद तो इसकी पहुंच हर घर और हर आदमी तक हो गई। कम आमदनी वाले लोग 100-200 रुपये की शैम्पू की बोतल खरीदने में असमर्थ थे, लेकिन उसकी जगह 1 या 2 रुपये का शैंपू का पाउच आसानी से खरीदने लगे। सेबी भी म्यूचुअल फंड एसआईपी (सिप) की पहुंच बढ़ाने के लिए एफएमसीजी (फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स) वस्तुओं के पाउचीकरण वाला मॉडल अपनाने की तैयारी में है।

सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी सार्वजनिक मंचों पर कह चुकी हैं कि वह म्युचुअल फंड कंपनियों के साथ मिलकर आम लोगों के लिए रुपये 250 प्रतिमाह से शुरू होने वाले सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) पर काम कर रही हैं। उनके मुताबिक पिछले कुछ समय से एसआईपी (सिप) में लोगों की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है, इसे देखते हुए म्युचुअल फंड कंपनियों के साथ मिलकर एसआईपी निवेश की न्यूनतम राशि को और नीचे ले जाना चाहती हैं। 

एसआईपी में अभी न्यूनतम निवेश राशि 500 रुपये है, जबकि सेबी एसआईपी (सिप) के जरिये न्यूनतम राशि को 250 रुपये पर लाने के विकल्प पर विचार कर रहा है। हालांकि कुछ फंड हाउस 100 रुपये मासिक निवेश की सुविधा प्रदान कर रहे हैं। लेकिन यह इस उद्योग का मानक नहीं है। 

ऐसे में माना जा रहा है कि छोटी एसआईपी (सिप) से बहुत कम बचत वाले वाले लोग भी सीधा फायदा उठा सकते हैं। इससे अधिक से अधिक लोगों को सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान से जोड़ा जा सकता है और अनुभव अच्छा रहने पर ऐसे निवेशक भविष्य में बड़ी एसआईपी की ओर आसानी से आकर्षित हो सकते हैं।

फाइनेंशियल इंफ्रास्ट्रक्टर बढ़ाने के साथ  प्रशिक्षित फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स की जरूरत 

आर्थिक विशेषज्ञ राजीव सिंह का कहना है कि एसआईपी शुरू करने के लिए पैन, आधार और बैंक खाता होना आवश्यक है। इसके साथ ही पैन-आधार लिंक हो और आधार से मोबाइल नंबर लिंक होना चाहिए। चेक बुक भी जरूरी है, अगर आपके पास डेबिट कार्ड नहीं है या आप नेट बैंकिंग का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो म्यूचुअल फंड द्वारा एकत्रित रकम का निवेश शेयर बाजार में किया जाता है। 

आज भी समाज का एक बड़ा तबका शेयर बाजार में निवेश को सट्टा समझता है। ऐसे में बड़ी संख्या में निवेशकों के बढ़ने पर उनको सही सर्विस मिले इसके लिए फाइनेंशियल इंफ्रास्ट्रक्टर होना बहुत जरूरी है। म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स की संख्या तेजी से बढ़ाने के साथ उनको प्रशिक्षित भी करना होगा। 

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