बरेली: नकटिया नदी का पानी उतरने के साथ बढ़ी कटान की रफ्तार...सड़क में आईं दरारें, धंस रही जमीन

Amrit Vichar Network
Published By Vivek Sagar
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आसपास के इलाकों में और बढ़ा खौफ का माहौल, मकानों को नुकसान की आशंका

बरेली, अमृत विचार। नकटिया नदी का पानी कम होने के साथ कटान की रफ्तार तेज हो गई है। कई जगह कटान होने के साथ मिट्टी धंस रही है। एक जगह आरसीसी की सड़क में भी दरारें पड़ गई है। इससे लोगों में दहशत और बढ़ती जा रही है। उनका कहना है कि बारिश के मौसम की शुरुआत में ही इतना ज्यादा कटान हो गया है, अगर नकटिया नदी दोबारा बारिश के बाद उफान आया तो मुश्किलें काफी बढ़ जाएंगी।

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बीसलपुर रोड पर एसटीपी की वजह से नकटिया नदी की बदल गई है धारा।

 

बीसलपुर रोड पर नकटिया नदी के पाट में बना दिए गए एसटीपी की दीवार से उसकी मुख्य धार मुड़ गई है। इस वजह से नदी ने शिवशक्ति गार्डन कॉलोनी की तरफ कटान शुरू कर दिया है। सोमवार को नदी का पानी कम तो हुआ है, लेकिन इसके बाद कटान और तेज हो गया।

कॉलोनी के कुछ घरों के नजदीक पहुंचा पानी उतरने से मिट्टी कटकर नदी में समा रही है। इस वजह से नदी के पास बने मकानों में रहे लोगों को उनकी नींव दरकने का डर परेशान कर रहा है। इस कॉलोनी की आरसीसी की एक सड़क भी कटान के कारण फट गई है। सड़क के बीच दरारें पड़ने और बगल में कटान होने से सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त होने की आशंका पैदा हो गई है।

आसपास के लोगों ने बताया कि एसटीपी का जब निर्माण नहीं हुआ था तो नदी की धार उस तरफ थी, जहां अब खाली मैदान है। मई से एसटीपी शुरू हुई है। बारिश शुरू होते ही यह समस्या सामने आ गई है। जुलाई और अगस्त में जब कई-कई दिन तक बारिश होती है, तब नकटिया नदी में फिर उफान आएगा। इससे उनके लिए खतरा बढ़ सकता है।

इलाके में रहने वाले मनोज कुमार ने बताया कि नकटिया नदी में नालों का पानी गिरने से उसमें भारी उफान है। कॉलोनी की तरफ बांध बनाया जाना चाहिए। विनोद ने बताया कि नदी की धारा मुड़ने से कटान हो रहा है। रात में तेज आवाज के साथ मिट्टी नदी में गिर रही है। अधिकारियों को सुरक्षा के इंतजाम पर ध्यान देना चाहिए।

पहले आग की मार, अब बाढ़ कहां जाए गरीब परिवार
नकटिया की बस्ती में झोंपड़ियों में रहने वाले लोग पिछले महीने बिजली के तारों से लगी आग से पहले ही काफी नुकसान झेल चुके हैं। अब नकटिया नदी का पानी बस्ती की झोपड़ियों में आने से और ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है। इन लोगों ने बताया कि बारिश के बाद नदी का पानी उनकी झोपड़ियों में घुटने तक भर गया था। जान बचाने के लिए उन्हें बारिश में छोटे- छोटे बच्चों को लेकर ऊंचाई पर जाकर बैठना पड़ा। नदी का पानी आने से सिर्फ उन्हें कुछ ही देर की ही समस्या नहीं रही बल्कि झोपड़ी में पानी भर जाने से घर में रखे सामान के साथ अनाज भी बह गया। अब वे लोग दाने- दाने के लिए तरस रहे हैं।

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पानी की धार इस बार तेज हो गई है। एसटीपी बनने से पहले पानी की गति धीमी रहती थीं। कटान अभी जारी है। मंगलवार को नगर आयुक्त से मिलकर सुरक्षा इंतजाम की मांग करूंगी। सोमवार को भी गई थी लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई। -गौरी पटेल, पार्षद

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