कासगंज: धनराशि मिली फिर भी ड्रेस नहीं खरीद रहे अभिभावक, छात्र परेशान

कासगंज: धनराशि मिली फिर भी ड्रेस नहीं खरीद रहे अभिभावक, छात्र परेशान
सहावर क्षेत्र के स्कूल में बिना ड्रेस के पहुंचे विद्यार्थी

कासगंज, अमृत विचार। जिले की बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के अभिभावकों की मनमानी चरम पर है। वह सरकारी धनराशि का दुरुपयोग कर रहे हैं और बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस एवं जूते मोजे के लिए मिलने वाली धनराशि से शासन की मंशा को कारगर साबित नहीं होने दे रहे और बच्चों के हित की धनराशि अपने अन्य जरूरी कार्य में खर्च कर रहे हैं।

सर्व शिक्षा अभियान के स्लोगन भले ही रह-रहकर गांव की गलियों में गूंजते हों लेकिन इसके प्रति जागरूकता की कमी अब भी कई परिवारों में बरकरार है। तमाम अभिभावक ऐसे हैं जो अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर सजग नहीं हैं। सरकार की ओर से स्कूल पोशाक के मद में मिलने वाली धनराशि बच्चों के लिए ड्रेस न खरीदकर अन्य कार्यों में खर्च कर दे रहे हैं। इसका असर छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर भी पड़ रहा है। ड्रेस के लिए स्कूल में हर रोज जलील होते बच्चे ठीक से पढ़ नहीं पाते हैं। स्कूल ड्रेस में आए अन्य बच्चों में वह खुद को अलग महसूस करते हैं।

सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं चला रही है। इसमें स्कूल ड्रेस, किताब तथा छात्रवृत्ति आदि योजनाओं से सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को आच्छादित किया जा रहा है, लेकिन विभिन्न सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे बिना स्कूल ड्रेस के ही विद्यालय आते हैं जबकि सरकार हर साल बच्चों को स्कूल ड्रेस खरीदने के लिए बैंक खाते में पैसा देती है।

अमृत विचार की टीम ने क्षेत्र के विभिन्न विद्यालयों का जायजा लिया। प्राथमिक विद्यालय नगला थान में निचली कक्षा के कई बच्चे बिना स्कूल ड्रेस के दिखाई दिए। इस संबंध में विद्यालय की शिक्षिका राधा प्यारी रावत ने बताया कि विद्यालय में अध्ययनरत नए नामांकित और कुछेक पुराने बच्चों को छोड़कर अधिकांश बच्चे स्कूल ड्रेस में उपस्थित हैं।

सरकारी विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि जब से बच्चों के अभिभावकों के बैंक खाते में धनराशि जाने लगी है तबसे वह बच्चों के स्कूल ड्रेस खरीदने में आनाकानी कर रहे हैं। वे इस पैसे को कहीं अन्य जगहों पर खर्च कर देते हैं, जिससे परेशानी बढ़ती है। वहीं कुछ अभिभावकों की मानें तो अभी तक उनके या उनके बच्चे के खाते में पोशाक राशि नहीं आई है। जिससे नए पोशाक नहीं बन पाए हैं। पुराने ड्रेस छोटे पड़ जाने की वजह से बिना ड्रेस के ही बच्चों को स्कूल भेजना पड़ रहा है।

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