Kanpur: क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने के नाम पर ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़...चार गिरफ्तार, इस तरह से देते थे वारदात को अंजाम

गिरोह के सरगना जीजा-साला और कॉल करने वाले दो युवतियां गिरफ्तार

Kanpur: क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने के नाम पर ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़...चार गिरफ्तार, इस तरह से देते थे वारदात को अंजाम

कानपुर, अमृत विचार। यूपी पुलिस के एनसीआरबी के प्रतिबिंब पोर्टल की मदद से कानपुर कमिश्नरेट की क्राइम ब्रांच ने अंतरराज्यीय गिरोह का खुलासा किया है। काकादेव थानाक्षेत्र में किराए पर शारदा डॉग एंड कैट फूड्स के नाम से दुकान खोले थे, जहां से फूड की सप्लाई करते थे।

इसके पीछे एक कॉल सेंटर था जहां से क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने और रिवार्ड प्वाइंट्स रिडीम कराने के नाम पर क्रेडिट कार्ड धारकों से ठगी की घटना को अंजाम दिया जा रहा था।

साइबर की क्राइम ब्रांच ने गिरोह का संचालन कर रहे जीजा-साले और कॉल सेंटर में कॉल कर लोगों को अपने जाल में फांस कर ठगी करने वाली दो युवतियों को भी गिरफ्तार किया गया है। डीसीपी क्राइम आशीष श्रीवास्तव ने गिरोह का खुलासा करने वाली टीम को 25 हजार रुपये ईनाम दिया है। 

डीसीपी क्राइम आशीष श्रीवास्तव ने खुलासा करते हुए बताया कि क्राइम ब्रांच प्रतिबिंब पोर्टल पर काम कर रही थी कि इसी दौरान मथुरा के एक पीड़ित की बड़ी साइबर ठगी की जानकारी हुई। प्रतिबिंब से जब इसके नंबर क्राइम ब्रांच को मिले तो इस पर काम करना शुरू किया गया।

हॉटस्पॉट उठाया गया को काकादेव के शारदा डॉग कैट फीड्स की जानकारी क्राइम ब्रांच को गूगल मैप पर हो गई। डीसीपी ने बताया कि और जानकारी की गई तो पता चला कि ये गिरोह क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने और रिवार्ड प्वाइंट्स रिडीम कराने के नाम पर क्रेडिट कार्ड धारकों से ठगी करते हैं।

इस दौरान छापेमारी की गई तो नौबस्ता हंसपुरम निवासी अभिषेक प्रताप सिंह और अभिषेक का साला कल्याणपुर निवासी अरुण प्रताप सिंह पुलिस के हत्थे चढ़ गए।

दुकान के अंदर जाकर देखा तो रावतपुर गांव निवासिनी विभा सिंह और नई बस्ती आदर्श नगर रावतपुर निवासिनी शिवांशी कॉल सेंटर में लोगों को कॉल कर ठगी के जाल में फंसाती मिल गईं। पुलिस ने चारों को गिरफ्तार कर लिया। दो दिन पूर्व ही अमृत विचार में प्रतिबिंब पोर्टल के बारे में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था जिसमें साइबर अपराधियों पर साइबर क्राइम ब्रांच किस तरह से शिकंजा कस रही है।  

इस तरह से देते थे वारदातों को अंजाम 

डीसीपी क्राइम ने बताया कि आरोपियों ने जस्ट डॉयल से 5 पैसे प्रति डेटा के हिसाब से डेटा खरीद लिया था। पकड़ी गई दोनों महिलाओं को रोज 100 से 200 कॉल करने का टारगेट था। इनको लिस्ट दी जाती थी कॉल कर ये नंबरों के सामने उनका रेस्पांस लिखती थीं।

क्रेडिट कार्ड के रिवार्ड प्वाइंटस रिडीम करने के लिए 8 से 10 हजार रुपये के गिफ्ट वाउचर देने का लालच देकर पर्सनल डिटेल लेती थी। फिर किसी थर्ड पार्टी एप (यूनो) को डाउनलोड कर ओटीपी ले लेती थीं। क्रेडिट कार्ड से अकाउंट में पैसे डालने के लिए विभिन्न पेमेन्ट सर्विस एप (नोब्रोकर, फोन पे, हाउजिंग डाटा डॉट कॉम, मोबिक्विक) का इस्तेमाल कर फर्जी खातों में रुपये ट्रांसफर कर लेते थे। 

गिरोह के लीडर का आपराधिक इतिहास, 3 साल में कई करोड़ की कर चुके ठगी 

डीसीपी ने बताया कि गिरोह का सरगना अरुण सिंह है। जो दिल्ली में रहकर दो वर्ष कॉल सेंटर में काम किया। 2018 में साइबर फ्रॉड के मामले में तिहाड़ जेल गया। 2020 में कानपुर वापस आ गया। अरुण बीसीए किए है।

दिल्ली में ठगी सीखने के बाद उसने कानपुर में आकर काम शुरू कर दिया। बाद में बेकार घूम रहे अपने साले को भी साइबर ठगी की इस वारदात में शामिल कर लिया। तीन वर्ष में शातिर जीजा-साले ने कई करोड़ की ठगी की वारदात को अंजाम दिया है। इन दोनों के बारे में और जानकारियां हासिल की जा रही हैं। 

ये सामान हुआ बरामद 

डीसीपी ने बताया कि आरोपियों के पास से 11 मोबाइल, 21 सिमकार्ड, 1 पेन ड्राइव, एक लैपटॉप, 1 स्टांप मोहर, 15 डेबिट, क्रेडिट कार्ड, जानकारियों से भरी पांच नोटबुक बरामद हुई हैं। 

किसी भी तरह का लालच न करें। कोई भी कंपनी या व्यक्ति आपको बेवजह कुछ नहीं देता है। साइबर ठग आपके लालच और जानकारी न होने का फायदा उठाते हैं। किसी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी कतई न दें। अगर कोई वारदात होती है, तो पहले 1930 पर घटना की जानकारी जरूर दें।- आशीष श्रीवास्तव, डीसीपी क्राइम