हल्द्वानी: पाने को प्रेम कहे जग की यह रीत...प्रेम का अर्थ समझायेगी हर्षिका-कान्हा की प्रीत

हल्द्वानी: पाने को प्रेम कहे जग की यह रीत...प्रेम का अर्थ समझायेगी हर्षिका-कान्हा की प्रीत

हल्द्वानी, अमृत विचार। भगवान श्रीकृष्ण भक्तों से कहते हैं कि प्रेम का मतलब पाना नहीं होता, बल्कि उसमें खोना होता है। इस बात को चरितार्थ किया है हर्षिका ने। गुरुवार को 250 लोग इस बात के गवाह भी बने। शहर के उदय लालपुर इलाके के इंद्रप्रस्थ कॉलोनी फेज-2 में सुबह साढ़े दस बजे बैंड-बाजे के साथ बाराती झूमते हुए पूरन चंद्र पंत के आवास पर पहुंचे, जहां कान्हा का स्वागत हुआ और फिर शुरू हुई शादी की रस्में।

हर्षिका ने प्रभु श्रीकृष्ण की प्रतिमा के साथ सात फेरे लिए, उन्हें वरमाला पहनाई और अपनी मांग में सिंदूर भरा। विवाह संपन्न कराने वाले पंडितों के मंत्रोच्चारण से वहां मौजूद हर व्यक्ति का हृ़दय एक अजीब सी खुशी से सरोबार रहा। शाम पांच बजे सारी रस्मों के साथ विवाह संपन्न हुआ। हर्षिका के चेहरे की खुशी देखते ही बन रही थी। अपने कान्हा की मूरत को गोद में लेकर निहारती उसकी आंखें मानों मूर्ति के सजीव होने का प्रमाण दे रही थीं।

 नाते-रिश्तेदार, आस पड़ोस के लोगों ने शादी को भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जहां युवा डीजे पर थिरक रहे थे, वहीं महिलाओं की टोली मंगल गीत गा रही थीं। इस अनोखी शादी के बारे में जिसने भी सुना वह पता पूछते हुए समारोह स्थल तक पहुंच गया। किसी ने गुप्त दान दिया तो कोई हर्षिका के लिए उपहार लेकर आया था।

कई लोग ऐसे भी थे जो आए तो हर्षिका को उसके नए दांप्तय जीवन की बधाई देने थे पर वर के रूप में प्रभु श्रीकृष्ण की प्रतिमा देख हर्षिका के चरण तक स्पर्श किए और उसे गले लगाकर आशीर्वाद दिया। फिलहाल हर्षिका को उसकी जिंदगी का हमसफर मिल गया है, उसने ऐसा जीवन साथी चुना है जो उसकी शारीरिक लाचारी के बारे में उसे कभी सोचने नहीं देगा और उसकी जिंदगी में नया रंग तो भरेगा ही बल्कि उसे अनंत प्रेम की गहराई तक लेकर जाएगा।

अब खुलकर करुंगी कान्हा से बात...
जब हर्षिका से पूछा गया कि अब तो वृंदावन जाना पड़ेगा मायका छोड़कर तो वह मुस्कुरा कर बोली हां जाऊंगी पर अब तो मेरे कान्हा मेरे साथ रहेंगे। कहीं भी जाऊं वो साथ ही रहेंगे। बोली-अब तो दिन-रात खुलकर कान्हा जी से बात कर पाऊंगी बिना किसी संकोच के।

अमृत विचार अखबार लेकर शादी में पहुंचे बुजुर्ग
धनपुरी पंचायत घर निवासी चंदन बंसल, नंदू मौर्या और हल्दूपोखरा निवासी हरीश चंद्र गुप्ता भी हर्षिका के विवाह समारोह में शामिल हुए। वह अमृत विचार समाचार पत्र की प्रति हाथ में पकड़कर जयमाला स्थल पर पहुंचे और लोगों से पूछने लगे कि क्या वह सही जगह पहुंचे हैं जो इस अखबार में छपा है। लोगों ने बताया कि हां वे लोग सही जगह पहुंचे हैं। इस पर चंदन बंसल ने अपनी जेब से एक लिफाफा निकाला और दहेज लिख रहे बुजुर्ग के हाथ में थमाया। उन्होंने रजिस्टर में नाम न लिखने की बात कहते हुए कहा कि गुप्त दान है नाम रहने दीजिए।

बारिश हुई तो लोग बोले देवताओं ने दिया आशीर्वाद
जैसे ही जयमाला का कार्यक्रम संपन्न हुआ और फेरों की तैयारी होने लगी ठीक उसी दौरान बारिश हो गई। करीब 20 मिनट तक हुई बारिश से माहौल खुशनुमा हो गया। इस बीच कुछ महिलाएं ये कहते सुनाई दी कि ये तो शगुन है देवताओं का। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए हर्षिका को आशीर्वाद दिया है। प्रीतिभोज शुरू होते ही बारिश बंद हो गई और लोगों ने तसल्ली से भोजन किया।