Banda News: फाइल लटकाने पर शिक्षक विधायक का एसडीएम कार्यालय में हंगामा, इन पर लगाया रिश्वतखोरी का आरोप

Amrit Vichar Network
Published By Nitesh Mishra
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एमएलसी के विधि महाविद्यालय की भूमि पर 143 की कार्रवाई न करने पर जताई नाराजगी

बांदा,अमृत विचार। जहां एक ओर सूबे की योगी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर अमल करने और भ्रष्टाचार मुुक्त प्रशासन का दम भरती है, वहीं सत्ताधारी दल के विधायक ने तहसील प्रशासन पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाया है। 

शिक्षक एमएलसी ने उनके निजी विधि महाविद्यालय की एक फाइल पर कार्रवाई न करने पर जमकर नाराजगी जाहिर की और तहसील के कर्मचारियों को खूब खरी खोटी सुनाई। कहा कि जब एक विधायक की फाइल को चार वर्षों से लटका रखा है, तो आम आदमी की दशा को बखूबी समझा जा सकता है।  

भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर शिक्षक विधान परिषद सदस्य बने बाबूलाल तिवारी का गुस्सा उस समय सातवें आसमान पर पहुंच गया जब नरैनी तहसील के उप जिलाधिकारी के कार्यालय में बीते चार वर्षों से लंबित एक फाइल पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। 

एमएलसी दलबल के साथ एसडीएम कार्यालय पहुंच गए और हंगामा काटने लगे। एमएलसी के आने की सूचना मिलते ही एसडीएम समेत सभी जिम्मेदार वहां निकल लिए और एमएलसी कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों को खरी खोटी सुनाकर बैरंग वापस लौट आए। एमएलसी का कहना है कि वह तहसील क्षेत्र के गिरवां कस्बे में डाॅ. बीआर अंबेडकर विधि महाविद्यालय चलाते हैं। 

बताया कि उन्होंने चार वर्ष पूर्व महाविद्यालय की भूमि गाटा संख्या 1790/1 और 1791/2 को अकृषक भूमि घोषित करने और धारा 143 की कार्रवाई अमल में लाते हुए भूमि को व्यवसायिक घोषित करने का आवेदन किया था। लेकिन एसडीएम और तहसील कर्मियों की मनमानी के चलते चार वर्षों से उनकी फाइल कार्यालय में लंबित है। 

एमएलसी ने एसडीएम से फोन पर इस संबंध में बात की और संतोषजनक उत्तर न मिलने पर वह खुद ही कार्यालय पहुंच गए। उनके आने की सूचना मिलते ही एसडीएम समेत सभी जिम्मेदार मौके से भाग गए। एसडीएम की खाली कुर्सी देखकर शिक्षक एमएलसी का पारा चढ़ गया और उन्होंने कार्यालय के कर्मचािरयों को खरी खोटी सुनाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। 

एमएलसी ने तहसील के अधिकारियों और कर्मचारियाें पर रिश्वत लेने और अवैध खनन में संलिप्त रहने का गंभीर आरोप लगाया है। कहा है कि जब सत्ताधारी दल के विधायक का काम चार वर्षों से लंबित है तो आम आदमी की दुदर्शा खुद ही समझी जा सकती है। 

उनका कहना है कि तहसील में कोई भी काम बगैर पैसे लिए नहीं किया जाता। बताते हैं कि एमएलसी ने कालेज में डी.फार्मा के कोर्स की मान्यता के लिए एनओसी की फाइल भी तहसील में प्रस्तुत की थी, लेकिन उस पर यहां के अफसरों ने कोई कार्रवाई नहीं की।

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