Exclusive: मसलक के अंदर मसलक, क्या करेगा मुशावरत? आल इंडिया सुन्नी उलमा काउंसिल ने खड़े किए मुशावरत की सक्रियता पर सवाल

Exclusive: मसलक के अंदर मसलक, क्या करेगा मुशावरत? आल इंडिया सुन्नी उलमा काउंसिल ने खड़े किए  मुशावरत की सक्रियता पर सवाल

कानपुर, जमीर सिद्दीकी। आल इंडिया मुस्लिम मजलिस मशावरत के 60 साल बाद एक बार फिर से सक्रिय होने की खबर अमृत विचार समाचार पत्र ने शनिवार के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित की थी। इसे लेकर आल इंडिया सुन्नी उलमा काउंसिल ने मुशावरत की कवायद पर कई सवाल खड़े किए हैं। 

काउंसिल के महामंत्री हाजी मोहम्मद सलीस ने बयान जारी किया है कि वर्तमान में मुसलमानों का न तो कोई रहनुमा है और न ही कोई सियासी कायद (जनप्रतिनिधि)। मुसलमानों का एक भी संगठन ऐसा नहीं है जो उनकी आवाज उठा सके। इसकी वजह यह है कि मुसलमानों में मसलक के अंदर मसलक बने हुए हैं, हर मसलक के कई-कई शहरकाजी हैं।  
 
आल इंडिया मुस्लिम मजलिस मशावरत को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तर्ज पर मजबूत बनाकर सक्रिय करने के संबंध में आल इंडिया सुन्नी उलमा काउंसिल के महामंत्री का कहना है कि मुसलमान मसलक में बंटे हुए हैं। शिया, सुन्नी, देवबंदी, अहले हदीस समेत कई फिरकों में मुसलमान बंटा है। पहले मुशावरत को इन सभी को एकजुट करने का काम करना होगा। 

मुस्लिम संगठनों से मुशावरत के लोग पहले संपर्क स्थापित करें। उन्हें हर मीटिंग में आने की दावत दें। सभी मसलक के लोगों को एक करें फिर मुसलमानों के बीच जाएं। मुशावरत को अपना संगठन राज्य, जिला और वार्ड स्तर पर मजबूत करना होगा। यूं ही संगठन बनाने से कुछ नहीं होने वाला है, क्योंकि संगठन तो रोज बनते हैं लेकिन मुसलमानों के दुख-दर्द में कोई मदद नहीं करता।

पर्सनल लॉ बोर्ड अध्यक्ष मौलाना सैफ उल्लाह रहमानी भी सदस्य 
  
आल इंडिया मुस्लिम मजलिस मशावरत के प्रमुख जिम्मेदार मोहम्मद सुलेमान का कहना है कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष मौलाना सैफ उल्लाह रहमानी भी मुशावरत के सदस्य हैं। उनके अलावा कमाल फारुकी एवं सैयद कासिम रसूल इलियास ( आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य) भी मुशावरत के सदस्य हैं। सुलेमान के मुताबकि सभी मुस्लिम संगठनों से संपर्क किया गया है, मुशावरत में देश भर के मुस्लिम बुद्धिजीवियों को लेने का काम शुरू किया गया है। 

कमाल फारुकी, मंजूर अहमद (आईपीएस), हाफिज आरए चौधरी, अहमद रशीद शेरवानी, अताउर्रहमान कासिमी, मुजतबा फारुक (औरंगाबाद), बशीर अहमद खान (नई दिल्ली), सैयद तहसीन अहमद (नई दिल्ली), अब्दुल अजीज (कोलकाता), उजमा नाहिद (मुंबई) के अलावा अनवारुल इस्लाम प्रमुख रूप से शामिल किए गए हैं। उन्होंने बताया देश के लगभग सभी मुस्लिम संगठनों से संपर्क साधा गया है, जो शेष रह गए हैं, उनसे भी संपर्क किया जा रहा है, सभी के सहयोग से मुशावरत को मजबूत किया जाएगा।

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