छिटपुट घटनाओं का लाखों छात्रों पर असर नहीं पड़ना चाहिए: धर्मेंद्र प्रधान

छिटपुट घटनाओं का लाखों छात्रों पर असर नहीं पड़ना चाहिए: धर्मेंद्र प्रधान

नई दिल्ली। मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट को फिर से आयोजित करने की विपक्ष की मांग के बीच शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बृहस्पतिवार को कहा कि गड़बड़ी की छिटपुट घटनाओं से उन लाखों विद्यार्थियों पर असर नहीं पड़ना चाहिए, जिन्होंने सही तरीके से परीक्षा पास की है। प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के कामकाज की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई जाएगी। 

यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधान ने विपक्षी दलों से इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करने की अपील की और कहा कि एनटीए के अधिकारियों सहित दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

मंत्री ने कहा कि एनटीए की कार्यप्रणाली की समीक्षा और सुधार के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन जल्द ही किया जाएगा। जूनियर रिसर्च फेलो, सहायक प्रोफेसर और पीएचडी छात्रों के चयन के लिए आयोजित होने वाली यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द किए जाने को लेकर प्रधान ने कहा कि परीक्षा का पेपर डार्कनेट पर लीक हो गया था। 

उन्होंने कहा, “हमें अपनी व्यवस्था पर भरोसा रखना चाहिए और सरकार किसी भी प्रकार की अनियमितता या कदाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी।” राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) 2024 पांच मई को 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी और इसमें करीब 24 लाख विद्यार्थी शामिल हुए थे। इसके नतीजे 14 जून को घोषित होने की उम्मीद थी, लेकिन उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन पहले ही पूरा किए जाने के कारण नतीजे चार जून को घोषित किए गए। 

इस परीक्षा में 67 विद्यार्थियों ने शत प्रतिशत (720 में से 720 अंक) प्राप्त किए जो एनटीए के इतिहास में अप्रत्याशित है। इनमें हरियाणा के फरीदाबाद के एक केंद्र के छह छात्रों का नाम भी शामिल है, जिससे अनियमितताओं का संदेह पैदा होता है। आरोप लगाया गया है कि कृपांक की वजह से 67 छात्रों को शीर्ष रैंक मिली है। नीट-यूजी परीक्षा देश भर के सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एनटीए द्वारा आयोजित की जाती है। 

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