विदेश व्यापार घाटा

विदेश व्यापार घाटा

भारत को वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में महत्वपूर्ण माना जाता है। देश का व्यापार परिदृश्य वैश्विक चुनौतियों और अवसरों के बीच विकसित हो रहा है। मौजूदा व्यापार नीतियां तथा मौद्रिक सुधार जैसे पहलू इसमें योगदान दे रहे हैं। देश बुनियादी ढांचे और तकनीकी प्रगति को भी प्रोत्साहित कर रहा है, जो आने वाले वर्षों में वित्तीय क्षेत्र के लिए अनुकूल है। 

इस बीच भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 23.78 बिलियन डॉलर हो गया, जो अर्थशास्त्रियों के 19.5 बिलियन डॉलर के अनुमान से कम है। चिंता की बात यह है कि मसालों की शिपमेंट में 20.3 फीसदी की भारी गिरावट आई है, जबकि समुद्री उत्पादों का निर्यात एक बार फिर से लुढ़क गया है। दूसरी ओर इंजीनियरिंग सामान, वाणिज्यिक वाहनों और स्मार्टफोन के शिपमेंट में वृद्धि से मई में देश का व्यापारिक निर्यात एक साल पहले की तुलना में 9 प्रतिशत बढ़कर 38.13 बिलियन डॉलर हो गया। 

राहत की बात है कि पिछले पांच महीनों में से चार महीनों के दौरान आयात के साथ-साथ निर्यात भी बढ़ा है। भारत से निर्यात की जाने वाली शीर्ष 30 वस्तुओं में से 20 ने इस साल पिछले मई के निर्यात के आंकड़ों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है, जबकि अप्रैल में सिर्फ 13 वस्तुओं के निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। मई में जिन क्षेत्रों में सुधार हुआ उनमें परिधान, मानव निर्मित धागा और इंजीनियरिंग के सामान जैसे रोजगार सृजन करने वाले क्षेत्र शामिल हैं। 

व्यापार सचिव सुनील भरथवाल ने कहा कि उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति धीमी हो रही है और इससे क्रय शक्ति को और बढ़ाने में मदद मिलेगी जिससे आयात की मांग बढ़ेगी। व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार यदि कोई देश विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कच्चे माल या मध्यस्थ उत्पादों का आयात कर रहा है, तो घाटा हमेशा बुरा नहीं होता है। हालांकि यह घरेलू मुद्रा पर दबाव डालता है। 

इसी के चलते अधिकारियों ने बढ़ते व्यापार घाटे से जुड़ी चिंताओं को ज्यादा महत्ता नहीं दी है। उनका तर्क है कि भारत के निर्यात की मांग जल्द ही आयात संबंधी मांग को पीछे छोड़ देगी, क्योंकि यह बाकी दुनिया के मुकाबले तेजी से बढ़ रही है।

गौरतलब है कि जब कोई देश निर्यात की तुलना में आयात अधिक करता है तो उसे व्यापार घाटे  का सामना करना पड़ता है। खुशी की बात है कि हमारे निर्यात के नई ऊंचाइयों पर पहुंचने की उम्मीद है। केंद्र को बजटीय परिव्यय में वृद्धि के साथ माल निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अपनी योजनाओं और प्रयासों को पुनर्जीवित करना चाहिए।