प्रयागराज : निर्जला एकादशी व ज्येष्ठ माह के आखिरी चौथे मंगल पर संगम में आस्था का सैलाब

लेटे हुए हनुमान मंदिर में भव्य श्रृंगार के साथ हुई महाआरती, चढ़े छप्पन भोग

प्रयागराज : निर्जला एकादशी व ज्येष्ठ माह के आखिरी चौथे मंगल पर संगम में आस्था का सैलाब

प्रयागराज, अमृत विचार। निर्जला एकादशी और  ज्येष्ठ माह के चौथे और आखिरी मंगलवार को संगम में श्रृद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। पूजा अर्चना कर दान पुण्य अर्जित किया। वही चौथे आखिरी मंगल पर लेटे बंधवा हनुमान मंदिर में दर्शन भी किया। बजरंगबली के जयकारों से मंदिर गूंज उठा। मंदिर में मुख्य पुजारी ने भव्य श्रृंगार के साथ महाआरती भी की।

ज्येष्ठ माह के चौथे बड़े मंगल और निर्जला एकादशी पर श्रृद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। वहीं श्री बड़े हनुमान मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। प्रयागराज के बड़े हनुमान मंदिर में का भव्य श्रृंगार हुआ। बाघंबरी मठ और बड़े हनुमान मंदिर के महंत बलबीर गिरी महाआरती की। वहीं महाप्रसाद का भोग भी लगाया गया। मंदिर में सुंदरकांड का पाठ किया गया। बड़े मंगल के अवसर पर शहर के तमाम मंदिरों में भव्य आयोजन किया गया। श्री बड़े हनुमान मंदिर में विशेष पूजन और श्रृंगार  हुआ। मंदिर को फूलों हर भव्य सजाया गया। साथ ही बड़े हनुमान जी का विशेष श्रृंगार किया गया। सुबह मंगला काल में श्री बड़े हनुमान जी का अभिषेक और आरती की गई।

गर्मी को देखते हुए शरबत का भंडारा चलाया गया। ज्येष्ठ माह के चौथे और आखिरी मंगलवार पर श्री बड़े हनुमान जी के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे। देर शाम तक मंदिर में भीड़ लगी रही। शाम साढ़े चार बजे मंदिर में महाआरती की गई। इसके बाद सामूहिक सुंदरकांड का पाठ का आजोजन हुआ। वहीं, भक्तों को धूप से बचाने के लिए टेंट की भी व्यवस्था की गई थी।

महंत बलबीर गिरी ने बताया कि बड़े हनुमान मंदिर में लेटे बजरंग बली को प्रयागराज के नगर कोतवाल के रूप में माने जाते हैं। जेष्ठ मास का आखिरी व चौथा बड़ा मंगलवार रहा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है।  मान्यताओं के अनुसार निर्जला एकादशी व मंगल एक साथ पड़ने का संयोग अदभुद रहा है। मान्यताओ के अनुसार निर्जला एकादशी और मंगल पड़ने से शुभ संयोग है। इस दिन गंगा स्नान और बजंगबली के दर्शन मात्र से हर मनोकामना पूर्ण होती है। साथ ही धन की प्राप्ति होती है।

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