Bareilly News: आंवला और बहेड़ी में क्रय विक्रय समिति की हालत दयनीय, मुनाफे की जगह घाटे में जा रहे समितियों के कारोबार
आंवला में क्रय विक्रय समिति का खंडहर भवन
सुरेश पांडेय, बरेली, अमृत विचार। जिले में आंवला और बहेड़ी में क्रय विक्रय समिति की हालत दयनीय है। आंवला क्रय विक्रय समिति का कोल्ड स्टोर खंडहर में तब्दील हो चुका है। बहेड़ी में समिति का कार्यालय किराये के भवन में चल रहा है। सचिवों को पांच साल से वेतन नहीं मिला है।
बरेली शहर में समिति की जमीन पर जिला सहकारी बैंक चल रही है, जिसके किराये से कर्मचारियों को वेतन निकल रहा है। समितियों के कारोबार भी मुनाफे की जगह घाटे में जा रहे हैं। अफसर भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
जिले में सहकारिता का दम फूल रहा है। सहकारिता के आधार पर पूर्व में खड़े किए गए भवन अब वीरान हो गए हैं। साधन सहकारी समिति के कुछ सदस्य क्रय विक्रय समिति में आते हैं। जिले में बरेली, बहेड़ी, आंवला में क्रय विक्रय समिति हैं। इनमें आंवला और बहेड़ी समिति अपने विधानसभा क्षेत्र तक सीमित रह गई है।
समिति का कोल्डस्टोर खंडहर में तब्दील, आलू की जगह भरा जा रहा भूसा
आंवला क्षेत्र आलू का हब है। यहां क्रय विक्रय समिति ने कई साल पहले कोल्ड स्टोर बनवाया था। उसका संचालन किया, लेकिन कुछ गलत व्यक्तियों के समिति में आने से कोल्ड स्टोर बंद हो गया।
आंवला समिति के अध्यक्ष डाॅ. इन्द्रपाल सिंह बताते हैं कि समिति की हालत बहुत खराब है। कोल्ड स्टोर की मशीनें और चौखट तक गायब हो चुकी हैं। जिस शेड में आलू रखे जाते थे, अब वहां भूसा भरा जा रहा है। सरकारी भवन खंडहर बन गया है। विभागीय अफसरों का ध्यान इस ओर नहीं है। समिति में जान फूंकने के लिए नया प्रोजेक्ट भी तैयार नहीं किया गया है। यहां कोई अफसर झांकने नहीं आता है।
पांच साल से सचिवों को नहीं मिला वेतन, कार्यालय जर्जर हाल में
बहेड़ी क्रय विक्रय समिति के अध्यक्ष कुंवरसेन मौर्य के अनुसार समिति में कुछ नहीं है। घाटे का सौदा है। किराये के जर्जर भवन पर कार्यालय है। बिजली भी कट गई है। सचिवों को पांच साल से वेतन नहीं मिला है। इस बार गेहूं खरीद का केंद्र लगाया था, लेकिन बाजार में गेहूं का भाव ज्यादा था, इसलिए केंद्र पर कम ही किसान गेहूं लेकर आए।
समिति में 700 किसान सदस्य हैं, लेकिन समिति के जरिए उनका भी कोई भला नहीं हो पा रहा है। पहले कोटे की दुकान समिति के पास थी, उसमें काफी सामान आता था, लेकिन अब केवल गेहूं और चावल ही आता है। इससे भी आय कोई खास नहीं हो पा रही है। चूंकि कमीशन से ही समिति का का संचालन होता है।
जमीन के किराये से समिति को मिल रही मदद
बरेली क्रय विक्रय समिति की स्थिति जरूर ठीक है। समिति की शहामतगंज रोड पर जमीन पर जिला सहकारी बैंक है। इसका किराया आता है। समिति के अध्यक्ष निर्भर गुर्जर बताते हैं कि खाद की दुकानें और दो कोटे की दुकानें हैं। कोई नया व्यवसाय जुड़ा नहीं है।
जमीन का किराया और सामान बेचने के कमीशन से समिति की आय हो जाती है। इसी से कर्मचारियों का हर माह वेतन निकलता है। वह कहते हैं कि नया व्यवसाय करने की योजना है। पैक्ड वाटर प्लांट लगाना है। रोडवेज पर इसकी सप्लाई करने का काम मिल जाए तो समिति की आय का साधन बढ़ जाएगा। किसानों से खेत में ही सब्जी लेकर उसे शहर में बेचकर भी आय की जा सकती है। फिलहाल, प्रोजेक्ट विभाग को भेजा है। सरकार सहयोग करे तो समिति को बल मिलेगा।
आंवला का कोल्ड स्टोर अच्छी जगह पर है। विभाग के पास फंड की समस्या रहती है। प्रोजेक्ट का परीक्षण कर रहे हैं। पीपीपी मॉडल पर यदि कोई व्यक्ति विभाग की जमीन पर कुछ करना चाहता है तो प्रस्ताव दें। उसे आगे भेजा जाएगा।-बृजेश सिंह परिहार, एआर कोआपरेटिव
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