बाराबंकी: हाईटेक की जायेगी जिला अस्पताल की पैथोलॉजी, हो सकेगी थैलीसीमिया और हीमोफीलिया की जांच, जल्द हो जाएगा 500 बेड का अस्पताल

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Published By Anjali Singh
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बाराबंकी, अमृत विचार। रफी अहमद किदवई जिला चिकित्सालय की पैथालॉजी अब अपग्रेड हो रही है। सब कुछ ठीक रहा तो सोमवार से मंगलवार तक जिला अस्पताल की पैथालॉजी में हीमोफीलिया और थैलीसीमिया की जांच निशुल्क पीड़ित मरीजों को मिल सकेगी। हीमोफीलिया और थैलीसीमिया की जांचे अभी तक यहां की पैथालॉजी में नहीं हो रही थी।

जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि थैलीसीमिया और हीमोफीलिया के मरीजों की जांच सोमवार या मंगलवार से पैथालॉजी में शुरू कर दी जायेगी। इसको लेकर पूरी तैयारी शुरू हो गई है। सीएमएस ने बताया हीमोफीलिया आनुवंशिक रोग है।

यह दुर्लभ ब्लड डिसऑर्डर ब्लड जमने से रोकता है। किसी भी तरह की चोट या दुर्घटना होने पर मरीज के रक्त का रिसाव जल्दी बन्द नहीं होता। बहुत ज़्यादा ब्लीडिंग और ब्लड क्लॉट का खतरा होता है। जांच की सुविधा होने से गम्भीर रोगियों की पहचान यहीं हो सकेगी और उसका समय रहते इलाज किया जा सकेगा।

उन्होंने थैलीसीमिया की चांज को लेकर बताया कि इस तरह के प्रायः कम रोगी पाये जाते है, लेकिन रक्त की अल्पता के कारण उनके इलाज में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यही जांच हो जाने से स्थित स्पष्ट हो जायेगी और सही समय से मरीज को सही इलाज देकर उसकी जान बचाई जा सकती है।


रफी अहमद किदवई जिला चिकित्सालय सिर्फ 100 बेड का है। जो जल्द ही 500 बेड का हो जाएगा। जिला प्रशासन ने इसे लेकर शासन में प्रस्ताव भेजा है। लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया खत्म होने के बाद इस दिशा में काम तेजी से शुरू हो जाएगा। दरअसल शहर में अन्य कोई बड़ा चिकित्सालय न होने के कारण पूरे जिले के मरीज का भार इसी चिकित्सालय पर है।

अस्पताल में ट्रामा सेंटर का भी निर्माण कराया गया लेकिन वार्ड की कमी दूर नहीं हुई। ओपीडी में भी भारी भीड़ उमड़ती है। जिसे देखते हुए अब इसके विस्तार पर सरकार गंभीरता पूर्वक विचार कर रही है। सीएमएस डा. बृजेश कुमार सिंह के मुताबिक चिकित्सालय जल्द ही 500 बेड को हो जाएगा। अयोध्या हाईवे, बहराइच हाईवे, किसान पथ और पूर्वांचल एक्सप्रेस वे बाराबंकी से होकर गुजरते हैं।

ऐसे में कोई हादसा होने पर मरीज सीधे जिला अस्पताल ही आता है। लेकिन बेड होने के चलते कभी कभी मरीज को समुचित इलाज नहीं मिल पाता और मजबूरी में उसे लखनऊ भेजना पड़ता है। ऐसे में 500 बेड हो जाने के बाद मरीजों को काफी सहूलियत मिल सकेगी। अस्पताल में क्रिटिकल केयर यूनिट का भी निर्माण होगा। जिसमें क्रिटिकल मरीज भर्ती कर उनका इलाज किया जाएगा।

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