संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रूस समर्थित प्रस्ताव को खारिज किया, जानिए अमेरिका ने क्या कहा?

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रूस समर्थित प्रस्ताव को खारिज किया, जानिए अमेरिका ने क्या कहा?

संयुक्त राष्ट्र। अंतरिक्ष में हथियार भेजने की होड़ पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने वाला रूस का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र (संरा) सुरक्षा परिषद ने सोमवार को खारिज कर दिया। सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पर बहस के दौरान अमेरिका ने कहा कि रूस ने पिछले सप्ताह एक उपग्रह प्रक्षेपित किया था जो अंतरिक्ष में हथियारों की तैनाती का हिस्सा हो सकता है। 

सुरक्षा परिषद के सदस्य देश भविष्य में संभावित इस वैश्विक चलन की निंदा कर रहे हैं लेकिन इसके खिलाफ कदम उठाने में विफल साबित हुए हैं। पिछले महीने रूस के प्रतिद्वंदी देश अमेरिका और जापान ने सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव रखा था जो खारिज हो गया था। अमेरिका और जापान द्वारा रखे प्रस्ताव में अलग-अलग प्रकार के हथियारों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो भारी तबाही का कारण बन सकते हैं। 

वहीं रूस के प्रस्ताव में सभी प्रकार के हथियारों पर चर्चा की गयी। अमेरिका और उसके सहयोगियों का कहना है कि 15 सदस्यीय परिषद में सोमवार को जिस प्रस्ताव पर चर्चा हुई उसका मकसद सिर्फ और सिर्फ रूस की अंतरिक्ष में हथियारों की तैनाती की वास्तविक मंशा से विश्व का ध्यान भटकाना है।

अमेरिकी उपराजदूत रॉबर्ट वुड ने परिषद को बताया, ''आज हमारे सामने रखा गया प्रस्ताव और कुछ नहीं बल्कि रूस की ध्यान भटकाने की पराकाष्ठा है। संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वासिली नेबेंजिया ने इस तथ्य को खारिज किया कि उनका देश दुनिया को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव पर मतदान हमारे पश्चिमी सहयोगियों के लिए सच सामने लाने वाला एक महत्वपूर्ण क्षण है। चीन और अन्य देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। 

नेबेंजिया ने कहा, ''अगर वे इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं करते हैं तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि उनका मुख्य मकसद खुद को बाहरी अंतरिक्ष में हथियारों की तैनाती के संबंध में आजाद रखने का है।'' हर राष्ट्र कहता है कि वे हथियारों को अंतरिक्ष से दूर रखना चाहते हैं और परिषद के सदस्य देशों ने भी सोमवार को इसे दोहराया है। लेकिन जब बात मतदान की आती है तो परिषद रूस और अमेरिका के प्रस्तावों पर दो भागों में बंट गया और स्विट्जरलैंड मतदान प्रक्रिया से नदारद रहा। यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र के नियमों के तहत गिर गया क्योंकि उसे जरूरी नौ मत नहीं प्राप्त हुए। 

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