Mother’s Day 2024: मां के संघर्षो को देख जब एक बच्ची ने निभाया मां का किरदार, पढ़ें मदर्स डे पर यह दिलचस्प कहानी

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Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। मुसीबत जब पड़ती है तो कुछ लोग लड़ते हैं और कुछ भाग जाते हैं। जो लड़ता है वहीं आगे चलकर दुनिया के सामने उदाहरण पेश करता है। इस बार मदर्स डे पर एक ऐसी ही महिला की कहानी जिसने संघर्षों से मुंह मोड़ने के बजाय समस्याओं के सामने डट कर खड़ा होने का सोंचा। जिसके चलते एक दिन ऐसा भी आया जब मुसीबतें भाग खड़ी हुईं। इस महिला ने मुसीबतों से लड़ाई तब ठानी थी जब वह महज 12 साल की थीं। उनके अंदर मुसीबतों से लड़ने का यह जज्बा पिता की असमय मृत्यु के बाद संघर्ष करती मां को देखकर आया था। हम बात कर रहे हैं लखनऊ की निमिषा सोनकर की। मौजूदा समय में वह डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में पीआरओ के पद पर तैनात हैं।

निमिषा सोनकर जब महज 12 वर्ष की थी। तब उनके पिता देशराज दरियावादी का साल 1999 में देहांत हो गया। पिता के असमय मृत्यु के चलते पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मां वीना सोनकर गृहणी थीं। इस वजह से सबसे बड़ी मार आर्थिक स्थिति पर पड़ी। वीना सोनकर के सामने चार बच्चों को पढ़ाना एक चुनौती की तरह था। पति की जगह पर बैंक ऑफ इण्डिया में करीब एक साल बाद नौकरी तो मिल गई, लेकिन घर से कई किलोमीटर दूर जाकर नौकरी करना वीना के लिए किसी जंग से कम नहीं था। इस बीच उनके बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी सबसे बड़ी बेटी निमिषा पर आ गई।

निमिषा बताती हैं कि उनके पिता बैंक ऑफ इण्डिया में ब्रांच मैनेजर थे, लेकिन उनके देहान्त के बाद जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। मां नौकरी करने गोमती नगर से अमीनाबाद जाती थीं, यह करीब 25 साल पहले की बात है। मां सुबह करीब 9 बजे घर से निकल जाती थीं, उसके बाद करीब 9 बजे ही घर वापस आ पाती थीं। इस बीच छोटी बहन निकिता नर्सरी में पढ़ रही थी, वहीं छोटे भाईयों तुहीन और तुषार सोनकर की उम्र भी बहुत कम थी। ऐसे में मां की जिम्मेदारी खुद उठाने की सोंची और भाई-बहनों की देखभाल जिस तरह मां किया करती थीं। ठीक उसी तरह करने लगी। आज सभी भाई बहन अच्छी जगह पर हैं।

वीना सोनकर ने बताया कि उनकी शादी को करीब 40 साल हो गये हैं, लेकिन वह लगभग साढ़े चौदह साल ही अपने पति के साथ रह सकीं थीं। पति की अचानक हुई मौत ने उनकों हिला कर रख दिया था। परिवार की सारी जिम्मेदारी उनके अकेले के कंधों पर आ गई थी, लेकिन इस दौरान बड़ी बेटी निमिषा ने बहुत सहयोग किया। 12 साल की उम्र में अपने भाई बहनों की देखभाल वह एक मां की तरह करने लगी। इस दौरान उसने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। वह खुद को संभालने के साथ ही बच्चों को संभालने का काम करती थी। अपनी पढ़ाई पर भी कोई असर नहीं पड़ने दिया। उन्होंने कहा कि मैं अपने बच्चों की 100 प्रतिशत मां हूं तो मेरी बेटी 90 प्रतिशत मां है। 

बेटी के साथ पढ़ाई कर मां ने किया इंटर पास

वीना सोनकर बताती हैं कि पति की जगह नौकरी तो मिल गई थी, लेकिन पद नहीं मिल पा रहा था। इसके पीछे की वजह उच्च शिक्षा का न होना था। नौकरी में आगे बढ़ने के लिए पढ़ाई का निश्चय किया। जब बड़ी बेटी निमिषा ग्रेजुएशन कर रही थी,तो वीना ने उनके साथ 12वीं की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान निमिषा ने अपनी मां को पूरा सहयोग दिया। इसके अलावा निमिषा ने अपनी मां को पढ़ाया भी। वीना की मेहनत रंग लाई और परीक्षा में वीना ने शानदार प्रदर्शन किया और अव्वल रहीं। जिसके बाद उन्हें नौकरी में प्रमोशन मिल गया। इस दौरान समाज का भी भरपूर सहयोग उन्हें मिला। आज चारों भाई-बहनों का भविष्य उज्ज्वल है। निमिषा डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान में पीआरओ हैं, उनके एक भाई बैंक ऑफ बड़ौदा में ब्रांच मैनेजर, दूसरे भाई  आर्किटेक्ट और सबसे छोटी बहन एक निजी बैंक में एचआर के पद पर कार्य कर रहीं हैं।

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