पीलीभीत: सावधान...कहीं हरी-भरी सब्जियां बिगाड़ न दें सेहत, बाजार में खपाई जा रही केमिकल युक्त हरी सब्जियां

पीलीभीत: सावधान...कहीं हरी-भरी सब्जियां बिगाड़ न दें सेहत, बाजार में खपाई जा रही केमिकल युक्त हरी सब्जियां

पीलीभीत, अमृत विचार: दुकानों पर सजी हरी, सामान्य आकार से बड़ी और खूबसूरत दिखने वाली सब्जियों को लेकर जरा सतर्क हो जाएं। वजह यह है कि मुनाफा कमाने के चक्कर में सब्जी उत्पादक किसान से लेकर सब्जी व्यापारी इन हरी सब्जियों में खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

कुल मिलाकर देखा जाए तो सब्जी उत्पादन से लेकर बाजार तक में इन हरी सब्जियों को खूबसूरत और ताजा दिखाने के चक्कर में कीटनाशक दवाओं से लेकर अन्य खतरनाक रसायनों का अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है। इसकी रोकथाम के लिए जिम्मेदारी भी तय की गई, लेकिन जिम्मेदार शासन के आदेश आने का इंतजार कर रहे हैं।

गर्मी के सीजन में हरी सब्जियों की खासी भरमार रहती है। शहर समेत नगर-कस्बों की सब्जी मंडियों में इन दिनों हरी सब्जियों की अच्छी खासी खपत हो रही है। मगर, बाजार में ताजी और हरी सब्जियों को देखकर आप उन्हें अच्छा समझ रहे हैं तो थोड़ा सतर्क हो जाइए। वजह यह है कि इन सब्जियों के उत्पादन में खतरनाक कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। 

दरअसल सब्जी उत्पादक किसान अपनी फसलों को कीड़ों से बचाने के लालच में कई ऐसे खतरनाक रसायनों का उपयोग कर रहे हैं, जो सरकार द्वारा पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। जिन कीटनाशक दवाओं को दूसरी फसलों के लिए बनाया गया है, अपनी लागत कम करने के चक्कर में किसान इन्हीं कीटनाशकों का धड़ल्ले से उपयोग कर रहे हैं। चूंकि अधिकांश सब्जी उत्पादक किसान इसके प्रति बहुत जागरुक नहीं है, ऐसे में कीटनाशक बनाने वाली कंपनियां किसानों को इसके लाभ गिनाकर खतरनाक कीटनाशक दवाओं की बिक्री कर देती हैं।

गन्ने में इस्तेमाल होने वाली दवा का सब्जी उत्पादन में हो रहा इस्तेमाल
आजकल सब्जी उत्पादक किसान सब्जी फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए कोराजेन दवा का इस्तेमाल करते हैं। दरअसल कोराजेन नाम की कीटनाशक दवा गन्ने की फसल को कीड़ों से बचाती है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी श्यामनारायण राम के मुताबिक गन्ने पर इस दवा के एक बार छिड़काव का असर तीन से चार महीने तक रहता है। इस दौरान गन्ने को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़े फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाते। 

खैर गन्ना तो लगभग लगभग एक वर्षीय फसल है, लेकिन अधिकांश सब्जी उत्पादक किसान इस कीटनाशक दवा का इस्तेमाल उन सब्जियों की फसलों में भी कर रहे हैं जो दो से तीन या चार महीने के अंदर ही तैयार हो जाती है। इससे कीटनाशक दवा का कुछ अंश सब्जियों के अंदर रह जाता है, जो लोगों के पेट तक पहुंच जाता है। चूंकि दवा के इस्तेमाल से इन सब्जियों के आकार या रंग में परिवर्तन नहीं होता है, ऐसे में लोग बाग भी इनकी पहचान नहीं कर पाते। इन सब्जियों के लगातार सेवन से लोग धीरे-धीरे बीमारियां की गिरफ्त में आ रहे हैं।

बाजार में पहुंचने के बाद भी सब्जियों के साथ हो रहा खेल
बाजार में आजकल फड़ या ठेलों पर हरी भरी और चमचमाती हुई हरी सब्जियां खूब दिखाई दे रही हैं। सूत्रों की मानें तो खेत से बाजार में आने के बाद इन सब्जियों को और अधिक चमकदार और ताजा दिखाने के लिए उनमें केमिकल युक्त रंग लगाया जा रहा है। लौकी और बैंगन के अलावा अन्य सब्जियों का कम समय में आकार बढ़ाने के लिए भी खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। 

कारोबारी मोटा मुनाफा कमाने के लिए सब्जियों को रातों रात केमिकल लगाकर उन्हें चमकदार बनाने के बाद सुबह बेचते हैं। डॉक्टरों की मानें तो केमिकल युक्त सब्जियां पेट में एसिडिटी बनाकर लिवर और किडनी पर भी असर डाल रही हैं।

सूत्रों की मानें तो खराब और बेरंग सब्जियों को कम दाम में खरीदने के बाद उनमें केमिकल युक्त रंग लगाया जाता है, इससे वे पकी हुई और ताजा नजर आती हैं। यह केमिकल सरसों के तेल या रिफाइंड लगाकर चमकाया जाता है। इतना ही नहीं गोरखधंधा करने वालों ने खेतों में सब्जी उत्पादन करने वाले किसानों को भी बैंगन और लौकी की लंबाई बढ़ाने के लिए कम दाम में मिलने वाले खतरनाक रसायनों का प्रयोग करना भी सिखा दिया है।

जनपद में यह है सब्जी उत्पादन की स्थिति
उद्यान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जनपद में हर साल करीब साढ़े तीन हजार हेक्टेयर रकवे में सब्जी उत्पादन किया जाता है। वहीं अधिकांश सब्जियां आसपास के जनपदों के अलावा देश के अन्य राज्यों से आती है। व्यापारियों की मानें तो कुल खपत में करीब 70 फीसदी सब्जियां जिले में बाहर से मंगाकर बिक्री की जाती है।

जिम्मेदारों को शासन के आदेश का इंतजार
बाजार में केमिकल युक्त फल एवं सब्जियों की बिक्री पर रोकथाम की जिम्मेदार एफएसडीए (खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन) को दी गई है। नियमानुसार एफएसडीए को बाजार में बिकने वाली हरी सब्जियों एवं फलों के सैंपल लेकर उनकी जांच करानी चाहिए।

मगर, जिम्मेदार इसके लिए भी शासन के आदेश के इंतजार में बैठे हैं। एफएसडीए के अभिहित अधिकारी का कहना है कि ऐसे सैंपलिंग शासन से आदेश मिलने के बाद ही की जाती है। हालांकि एफएसडीए द्वारा करीब दो माह पूर्व छह हरी सब्जी एवं फलों के सैंपल लेकर जांच को भेजे गए हैं।

बाजार में मिलावट युक्त खाद्य पदार्थों की बिक्री पर रोकथाम लगाने के लिए समय समय पर अभियान चलाया जाता है। हरी सब्जियों और फलों के भी सैंपल लिए जाते हैं, मगर यह कार्रवाई शासन से आदेश मिलने के उपरांत ही जाती है--- शशांक त्रिपाठी, अभिहित अधिकारी।

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