Kannauj: स्कूलों को कमीशन का लालच, बिकतीं निजी प्रकाशन की किताबें, मामले में DIOS को मिले थे जांच के आदेश

भारतीय किसान यूनियन (बलराज) ने एसडीएम छिबरामऊ से की थी शिकायत

Kannauj: स्कूलों को कमीशन का लालच, बिकतीं निजी प्रकाशन की किताबें, मामले में DIOS को मिले थे जांच के आदेश

कन्नौज, अमृत विचार। भारतीय किसान यूनियन (बलराज) के जिलाध्यक्ष चौधरी प्रताप सिंह ने 18 अप्रैल को तहसील छिबरामऊ में डीएम व एसडीएम को संबोधित ज्ञापन दिया था। इसमें आरोप लगाया कि सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड से संबद्ध प्राइवेट स्कूलों की ओर से कमीशन के लालच में निजी प्रकाशन की किताबें बिक्री की जातीं हैं। साथ ही छात्र-छात्राओं से मनमानी फीस वसूली जाती है। इसके बाद ही विद्यालयों की जांच शुरू हुई है। ऐसा डीआईओएस कार्यालय का तर्क है। जिलाध्यक्ष ने पत्र में कहा है कि किसानों के बच्चे विद्यालयों में पढ़ते हैं। एलकेजी से लेकर इंटरमीडिएट तक की किताबें 3500 से लेकर 15 हजार रुपये तक निर्धारित हैं। 

यह पुस्तकें कुछ निर्धारित दुकानों से कमीशन के लालच में बिकवाई जातीं हैं। निजी स्कूल संचालक शिक्षा का व्यापार कर रहे हैं। यह गैरकानूनी है। इसकी जांच कराई जाए। जिलाध्यक्ष ने स्कूलों की सूची भी अधिकारियों को दी। उसके बाद एसडीएम छिबरामऊ उमाकांत तिवारी ने 19 अप्रैल को डीआईओएस व बीएसए को पत्र लिखकर चौधरी प्रताप सिंह की चिट्ठी का जिक्र किया। 

कहा कि, हर साल प्रवेश के नाम पर रुपये वसूलने, किताबों, यूनिफार्म व पंजीकरण के नाम पर मासिक फीस बढ़ोत्तरी की जा रही है। इस पर वैधानिक कार्रवाई की जाए। इसी के साथ 20 अप्रैल को एडीएम आशीष सिंह ने डीएम कार्यालय की ओर से डीआईओएस डॉ. पूरन सिंह को पत्र लिखकर कहा कि भारतीय किसान यूनियन बलराज ने निजी प्रकाशन की किताबों की बिक्री करने व मानमानी फीस वसूलने का ज्ञापन छिबरामऊ एसडीएम को दिया है जो उनके कार्यालय में आ गया है। इस पर आवश्यक कार्रवाई की जाए। 

एडीएम, एसडीएम के पत्र के बाद गठित हुई कमेटी

डीआईओएस डॉ. पूरन सिंह ने 24 अप्रैल को छिबरामऊ एसडीएम व डीएम कार्यालय के पत्र का हवाला देते हुए तीन सदस्यीय टीम गठित की। बताया गया है कि कमेटी में राजकीय इंटर कॉलेज उमर्दा के प्रधानाचार्य नीतू गुप्ता, राजकीय अभिनव विद्यालय गंगधरापुर के प्रभारी प्रधानाचार्य जितेंद्र यादव व राजकीय हाईस्कूल गुगरापुर की प्रधानाध्यापक पूनम पाल को शामिल किया गया। डीआईओएस ने विद्यालयों की जांच कर रिपोर्ट व प्रपत्र तलब किए। उसके बाद कई प्राइवेट विद्यालयों में निरीक्षण के दौरान खामियां मिलीं। प्राइवेट प्रकाशन की पुस्तकों के अलावा मान्यता में भी खेल मिला। नोटिस जारी होने के बाद खलबली मच गई।

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