बरेली: किला नदी की भूमि बेचने वालों की रिपोर्ट हजम कर गए अधिकारी

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बरेली,अमृत विचार। किला नदी भी शहर के प्रमुख जलस्रोतों में शुमार थी। भू-माफिया की ऐसी नजर लगी कि साठगांठ के खेल ने किला नदी को नाला बना दिया। तीन साल पहले नदी की भूमि पर मकान और कालोनी बसाने को लेकर बड़ा बवाल मचा। नदी की भूमि पर अवैध कालोनी बसाने को लेकर सपा नेता …

बरेली,अमृत विचार। किला नदी भी शहर के प्रमुख जलस्रोतों में शुमार थी। भू-माफिया की ऐसी नजर लगी कि साठगांठ के खेल ने किला नदी को नाला बना दिया। तीन साल पहले नदी की भूमि पर मकान और कालोनी बसाने को लेकर बड़ा बवाल मचा। नदी की भूमि पर अवैध कालोनी बसाने को लेकर सपा नेता से भाजपा नेता बने एक बिल्डर का नाम खूब उछला था।

हो-हल्ला होने पर तत्कालीन जिलाधिकारी पिंकी जोवल ने जांच करायी। एडीएम सिटी के नेतृत्व में नदी की भूमि पर कब्जे की जांच करायी गयी थी। कब्जे भी हटाये गये थे। तब भू-माफिया की सूची में कई नाम चढ़ाये गये थे। उस रिपोर्ट पर कार्रवाई के निर्देश थे लेकिन वह रिपोर्ट कहां गयी, यह आज भी रहस्य बना है।

लापरवाही ऐसी हुई कि जिस भूमि को खाली कराया गया था आज वहां फिर कब्जा कर लिया गया है। सैदपुर हाकिंस से लेकर स्वालेनगर तक किला नदी की भूमि पर 50 से अधिक जगह कब्जे हैं। नदी की धारा मोड़कर भू-माफिया ने प्लाट काटकर औने-पौने दाम में भूमि बेच दी और लोगों ने भी मकान खड़े कर लिये। बताते हैं कि सैदपुर हाकिंस में नदी की भूमि पर कालोनी बसी हुई है। इसे लेकर कई बार शिकायतें की गयीं लेकिन किसी भी अधिकारी ने इस ओर मुड़कर नहीं देखा।

पहले अखिलेश, फिर योगी से की जा चुकी है शिकायत
किला नदी की भूमि पर कब्जे की कहानी बहुत पुरानी है। सपा सरकार में भी लोगों ने किला नदी पर कब्जे का मामला मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समक्ष उठाया था। तत्कालीन मंडलायुक्त ने अपनी आख्या भी शासन को भेजी थी। रजा कालोनी के दो दर्जन मकान किला नदी की जमीन पर बने हैं। यह मामला तीन साल पहले चर्चा में आया था। भाजपा सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास भी किला नदी की भूमि पर कब्जे की शिकायत पहुंची थी। जांच के सिवा ठोस कार्रवाई आज तक नहीं की गयी।

नदी का नक्शा नजरी बनवा रहे
चर्चा यहां तक है कि एक माह पूर्व साठगांठ करके भू-माफिया नदी की भूमि मलबे से पटवा रहे हैं। किला छावनी और सैदपुर हाकिंस के बीच एक माह में ज्यादा कब्जा किया गया है। मामला अखबार की सुर्खियां बनने के बाद तहसीलदार नदी का नक्शा नजरी बनवा रहे हैं।

“तीन साल पहले नदी की भूमि पर कब्जे की जांच करायी गयी थी यह जानकारी में आया है लेकिन जांच रिपोर्ट कहां है, यह नहीं मालूम। जांच रिपोर्ट मेरे पास नहीं पहुंची है।” -आशुतोष गुप्ता, तहसीलदार सदर

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