बहराइच में 15 हजार बच्चों की हुई स्क्रीनिंग, 12 बच्चे मिले अनुवांशिक बीमारियों से पीड़ित, मेडिकल कालेज में होगा इलाज

एसजी पीजीआई के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने जांची नौनिहालों की सेहत

बहराइच में 15 हजार बच्चों की हुई स्क्रीनिंग, 12 बच्चे मिले अनुवांशिक बीमारियों से पीड़ित, मेडिकल कालेज में होगा इलाज

बहराइच, अमृत विचार। जन्म लेने वाले एक हजार बच्चों में एक बच्चे को जन्मजात थायराइड की कमी हो सकती है। समय से इलाज न होने पर यह स्थाई दिव्यांगता का रूप ले सकती है। इसमें मंद बुद्धि या गंभीर बीमारी शामिल है। इससे बचने के लिए जन्म के बाद तीसरे दिन तक सभी नवजात की जन्मजात थायराइड की जांच अवश्य कराना चाहिए। मेडिकल कालेज बहराइच में आयोजित कार्यशाला में एसजीपीजीआई लखनऊ के मेडिकल जेनेटिक्स विभाग की विभागाध्यक्ष डा. शुभा फड़के ने कही।

उन्होंने बताया अनुवांशिक बीमारियों की रोकथाम के लिए पिछले पांच वर्षों से जनपद बहराइच और श्रावस्ती में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा फंडिंग उम्मीद परियोजना चलाई जा रही थी। इस दौरान मुख्य पांच अनुवांशिक बीमारियों के लिए 15 हजार बच्चों की स्क्रीनिंग की गई जिसमें 12 बच्चे जन्मजात थायराइड की कमी वाले चिन्हित किए गए।

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सभी की हर तीन माह पर जांच और इलाज एसजीपीजीआई लखनऊ से निःशुल्क किया जा रहा था। प्रोजेक्ट का समय पूरा हो जाने पर सभी विवरण सहित बच्चों को आगे की जांच और इलाज के लिए मेडिकल कालेज बहराइच को सौंप दिया गया है। उन्होंने कहा जन्मजात थायराइड की कमी हिमालय की तलहटी में बसे जनपदों में ज्यादा पाया जाता है। इसीलिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इन जिलों को चिन्हित किया गया था। 

इस दौरान कार्यक्रम में आए सभी 12 बच्चों के अविभावकों से बच्चों की सेहत के बारे जानकारी ली गई और उन्हें चिकित्सकों ने इलाज और जांच के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई । डॉ शुभा ने बताया अनुवांशिक बीमारी में जन्म के समय स्वस्थ दिखाई देने वाले शिशु में थैलेसीमिया, हीमोफीलिया व मंदबुद्धि जैसी  कई जटिलताएँ हो सकती हैं। इसके लिए जन्में सभी नवजात की 24 घंटे के अंदर जांच व समय से इलाज करके कुछ बीमारियों के दुष्परिणामों से उन्हे बचाया जा सकता है।

इस मौके पर मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य डा. संजय खत्री, एसजीपीजीआई मेडिकल जेनेटिक्स विभाग से डा. अमिता मोइरांगथेम, एसएनसीयू इंचार्ज डा. असद अली, स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. रिचा यादव , डा. ध्रुव , डा. विपुल अग्रवाल,  डीईआईसी मैनेजर गोविंद रावत, आरकेएसके जिला सलाहकार राकेश गुप्ता, बृजेश पाठक, उम्मीद परियोजना से कपिल यादव दिलीप तिवारी, अजीत यादव , सरिता, गायत्री किरन सहित अन्य लोग उपस्थित रहे। 

रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर-

डिप्टी सीएमओ डा. संजय सोलंकी ने बताया कि आनुवांशिक बीमारियाँ माता अथवा  पिता या दोनों से बच्चे को मिल सकती हैं। हालांकि इसमें उनका कोई दोष नहीं होता। इसके लिए गर्भवती  अथवा गर्भ धारण करने से पूर्व माता पिता की जांच कर बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इसके साथ ही जिनके परिवार में आनुवांशिक दोष का इतिहास रहा हो उन्हे बच्चे की प्लानिंग  से पहले जांच अवश्य करानी चाहिए। 

आनुवांशिक बीमारी के संभावित लक्षण –
  1. खून की कमी होना और बार बार खून चढ़वाना 
  2. जिगर तिल्ली बढ़ना और प्लेटलेट तथा डबल्यूबीसी की कमी होना 
  3. बच्चे के विकास की गति कम ( मंदबुद्धि )होना
  4. लंबाई कम होना 
  5. चेहरे में भारीपन, उँगलियों में जकड़न होना 
  6. परिवार में बार-बार गर्भपात होना 
  7. नवजात शिशु या बच्चे की एक  वर्ष की आयु से पूर्व मृत्यु  
बचाव जरूरी : 
  1. जन्म के 24 घंटे के बाद खून की जांच से रोग की पहचान करना 
  2. शादी से पहले लड़के व लड़की के खून की जांच कराना 
  3. नजदीकी रिश्ते में विवाह करने से बचना 
  4. गर्भधारण से चार महीने के अन्दर भ्रूण की जाँच कराना

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