हल्द्वानी: पदोन्नति के बिना ही सेवानिवृत्त हो रहे शिक्षक

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Published By Bhupesh Kanaujia
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हल्द्वानी, अमृत विचार। सालों की सेवा के बावजूद शिक्षकों को बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त होना पड़ रहा है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि विभाग की ओर से वरिष्ठता तय करने में समय लगने के कारण पदोन्नति नहीं हो पा रही है, जबकि पूरे सेवाकाल में कम से कम दो पदोन्नति होनी चाहिए।

बीती 31 मार्च को जीआईसी, कठघरिया से प्रवक्ता के पद से सेवानिवृत्त हुए ललित मोहन पांडे बताते हैं कि पांच साल तक पदोन्नति की चर्चा चलती रही, गोपनीय आख्या तक मांगी गई लेकिन शिक्षकों के वरिष्ठता विवाद का मामला समय पर नहीं सुलझने से बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो गया। उन्होंने कहा कि ट्रिब्यूनल ने सरकार को शिक्षकों के वरिष्ठता विवाद के निपटारे के आदेश दिए थे लेकिन विभाग मामले को सुलझा नहीं पाया।

जीआईसी, हैड़ाखान से प्रवक्ता पद से सेवानिवृत्त मसरूर आलम बताते हैं कि साल 1994 में सहायक अध्यापक (एलटी ग्रेड) से भर्ती हुआ, जिसके बाद साल 2001 में एक पदोन्नति मिलने पर प्रवक्ता बना लेकिन दूसरी पदोन्नति नहीं मिल पाई और साल 2023 में सेवानिवृत्त हो गया। उन्होंने बताया कि वरिष्ठता विवाद का निपटारा नहीं होने तक सभी के पदोन्नति पर रोक लगा दी गई है।

राजकीय शिक्षक संघ के नैनीताल जिले के अध्यक्ष विवेक पांडे ने बताया कि पदोन्नति संबंधित कई मामले कोर्ट में हैं, जिससे शिक्षकों की पदोन्नति नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा कि कई शिक्षक सहायक अध्यापक पद पर भर्ती होकर इसी पद से सेवानिवृत्त हो गए, उन्हें पूरे सेवा काल में एक भी पदोन्नति नहीं मिली। कहा कि समय पर पदोन्नति न मिलने से शिक्षकों का उत्साह कम हो जाता है, इसलिए विभाग को इस मामले का गंभीरता से समाधान करना चाहिए। 


शिक्षक ही शिक्षक के खिलाफ हैं। शिक्षकों के कई मामले माननीय हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं, जिनके कारण शिक्षकों के तबादले रुके हुए हैं। 
- महावीर सिंह बिष्ट, निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, उत्तराखंड 

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