मुरादाबाद : अखिलेश की जनसभा के बाद बदला माहौल, चौंका सकते हैं आखिरी रात के समीकरण

भाजपा खेमे में बस मोदी-योगी का सहारा, मतदाताओं को केवल मोदी की गारंटी दिखाया

मुरादाबाद : अखिलेश की जनसभा के बाद बदला माहौल, चौंका सकते हैं आखिरी रात के समीकरण

मुरादाबाद, अमृत विचार। भोजपुर में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की बुधवार को हुई जनसभा ने माहौल बदला है। अपनों को एकजुट कर भाजपा के खिलाफ आक्रामक होने की अखिलेश की नसीहत के बाद सपा चुनावी लड़ाई में तेज हो गई है। मुरादाबाद में 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी डॉ. एसटी हसन ने एक लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल कर भाजपा के प्रत्याशी कुंवर सर्वेश सिंह को हराया था। हालांकि तब सपा व बसपा का गठबंधन था और इस बार यह दोनों आमने सामने हैं।

लोकसभा चुनाव में प्रथम चरण में मुरादाबाद लोकसभा सीट पर आज मतदान होगा। इस मतदान से पहले की रात कयामत की रात है। इस रात के समीकरण चुनाव परिणाम चौंकाने वाले दे सकते हैं। भाजपा प्रत्याशी कुंवर सर्वेश सिंह की बीमारी को लेकर मतदाताओं में भी चर्चा तेज हो चली है। तो वहीं राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में सपा प्रत्याशी रुचि वीरा ने अपने समर्थकों को सहेजने के लिए जो आक्रामक रुख दिखाकर पुलिस प्रशासन पर हमला बोला उसके बाद से उनके समर्थकों और पार्टी के नेताओं को जोश से भर दिया। हालांकि अखिलेश के न आने से लोगों को निराशा हुई थी। मतदान से ठीक दो दिन पहले आकर भोजपुर में जनसभा कर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा व उसके नेताओं पर शब्दों के वाण छोड़कर पीडीए गठबंधन के प्रत्याशियों को जिताने की अपील की। 

मंच से उन्होंने आपसी एकजुटता दिखाकर भाजपा की तानाशाही सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान जनता से कर माहौल को बदल दिया। अखिलेश के आने के बाद सपा के नेता फील्ड में उतर कर धुंआधार प्रचार में जुट गए। जनसंपर्क के आखिरी दिन सपाइयों ने महानगर के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों के अलावा हिंदू बाहुल्य मोहल्लों में भी डेरा डालकर उन्हें फिर से अपना आशीर्वाद सपा को देकर लोकतंत्र व संविधान को बचाने की अपील की। वहीं भाजपा खेमे में बस मोदी-योगी के नाम का सहारा है। योजनाओं के नाम पर मोदी की गारंटी गिनाई जा रही है। 

स्थानीय नेता के कार्य व उसकी उपस्थिति का कोई जिक्र कई बड़े नेताओं के कार्यक्रम में नदारद रहा। वहीं बसपा प्रत्याशी ने तो बसपा प्रमुख मायावती के मंच पर दिखने के अलावा महानगर में कहीं नहीं दिखे। यही नहीं भीतरखाने बसपा के पदाधिकारी भी अपनी पार्टी के प्रत्याशी के रवैए की आलोचना करते रहे।

मंडल स्तर के एक पदाधिकारी भी पूरे चुनाव के दौरान अपने प्रत्याशी के रवैये से खफा रहे। इसलिए उन्होंने अधिक समय बिजनौर, रामपुर में ही दिया। अब तो ईवीएम में किस प्रत्याशी के सामने वाला बटन अधिक दबेगा इसका फैसला तो 4 जून को ईवीएम का लॉक खुलने पर ही पता चलेगा, लेकिन सयाने मतदाताओं की खामोशी यदि रंग दिखाई तो फिर अप्रत्याशित परिणाम सामने आना तय है।

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