हल्द्वानी: परमानेंट एजुकेशन नंबर नहीं होने से एडमिशन के लिए जूझ रहे बच्चे

हल्द्वानी: परमानेंट एजुकेशन नंबर नहीं होने से एडमिशन के लिए जूझ रहे बच्चे

हल्द्वानी, अमृत विचार। नये स्कूल में प्रवेश के लिए छात्रों का परमानेंट एजुकेशन नंबर (पीईएन) जरूरी हो गया है, लेकिन स्कूलों के छात्रों की जानकारियां यू-डाइस प्लस पोर्टल पर अपलोड न होने से पीईएन नहीं मिल पा रहा है। निजी स्कूलों का कहना है कि पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड करने में दिक्कतें आ रही हैं, जबकि शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पोर्टल पर सुचारू रूप से चल रहा है। इधर, बच्चों के प्रवेश के लिए अभिभावकों को एक स्कूल से दूसरे स्कूल में भटकना पड़ रहा है।

अभिभावकों का कहना है कि उन्होंने पुराने स्कूल से बच्चे का नाम तो कटा लिया है, लेकिन पीईएन नहीं होने से नये स्कूल में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। जिससे उन्हें परेशानी उठानी पड़ रही है। स्कूलों के प्रवेश के लिए ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) के साथ पीईएन भी जरूरी कर दिया गया है। अभिभावकों ने बताया कि कई स्कूल टीसी पर पीईएन दर्ज नहीं कर रहे हैं। जबकि नये स्कूलों में पीईएन के बिना प्रवेश नहीं मिल रहा है।

बता दें कि स्कूलों में प्रवेश के लिए पीईएन अनिवार्य हो गया है। इसके लिए स्कूलों को अपने यहां पढ़ने वाले छात्रों की जानकारियां एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यू-डाइस प्लस) पोर्टल पर अपलोड करनी होती है। जिससे उसका पीईएन मिलता है, लेकिन स्कूल टीसी के साथ छात्रों का पीईएन नहीं दे रहे हैं। एक निजी विद्यालय के प्रबंधक ने बताया कि यू-डाइस प्लस पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड होने में परेशानियां आ रही हैं। 

छात्र से संबंधित 53 सूचनाएं दर्ज होती हैं पीईएन में
शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सरकारी और निजी स्कूलों के बच्चों को ट्रैक करने के लिए आधार कार्ड की तर्ज पर परमानेंट एजुकेशन नंबर (पीईएन) जारी करने की योजना बनाई है। जिसमें बच्चों की 53 सूचनाएं यू-डाइस प्लस पोर्टल में भरनी होती हैं। जिसके बाद परमानेंट एजुकेशन नंबर प्राप्त होता है। यह काम स्कूलों के स्तर पर होना है। इसमें उनके शैक्षणिक संबंधी विवरण के साथ ही स्वास्थ्य, लम्बाई, रक्त समूह, वजन आदि तक की जानकारी होगी। स्कूल में बच्चों से संबंधित हर काम के लिए इसी नंबर का उपयोग जरूरी हो गया है। बच्चों की टीसी काटने पर भी इस नंबर को भरना अनिवार्य होगा। नंबर नहीं भरने की स्थिति में बच्चों की ऑनलाइन टीसी तैयार नहीं हो पाएगी।

फर्जीवाड़े पर लगेगा अंकुश
योजनाओं का लाभ लेने के लिए कई बार छात्रों ने निजी स्कूल के साथ ही अपना नाम सरकारी स्कूल में भी लिखवा दिया। इसी तरह, फर्जी मार्कशीट से नौकरी करने के भी कई कई मामले सामने आए हैं। ऐसे में पीईएन के जरिए इस तरह के फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने के लिए यह योजना शुरू की गई। केवल एक नंबर से छात्रों की सभी प्रकार की सूचनाएं वेबसाइट में देखी जा सकती हैं। 

स्कूल साबित हो रहे फिसड्डी
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार जनपद नैनीताल के सभी सरकारी और निजी स्कूल यू-डाइस प्लस पोर्टल पर दर्ज हैं, लेकिन योजना पर अधिकतर निजी स्कूल ध्यान नहीं दे रहे हैं। अभिभावकों ने बताया कि कई स्कूलों में अभी तक बच्चों की जानकारियां यू-डायस पर अपलोड नहीं की गई हैं। जिससे टीसी लेते समय स्कूल से पीईएन नहीं मिल पा रहा है। निजी स्कूल के प्रबंधकों ने बताया कि छात्रों के फीस आदि जमा नहीं होने के कारण कुछ मामलों में ऐसे हो सकता है। 

आंकड़े उपलब्ध नहीं
शहर में कितने छात्रों को इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, इस संबंध में अभी स्पष्ट आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना कि जिन छात्रों को इस तरह की परेशानियां आ रही हैं, उन्हें विभाग में शिकायत करनी चाहिए।


यू-डाइस प्लस पोर्टल सुचारू रूप से काम कर रहा है। निजी स्कूलों को सभी बच्चों की जानकारियां पोर्टल पर डालकर पीईएन प्राप्त करना चाहिए। छात्रों को इस तरह की समस्या आ रही हैं तो खंड शिक्षा अधिकारी से संपर्क करना चाहिए।
- जगमोहन सोनी, मुख्य शिक्षा अधिकारी, नैनीताल