बरेली: आखिर क्यों गिरफ्तार नहीं हुए तौकीर रजा?, अदालत के आदेश के बाद भी पुलिस की गिरफ्त से रहे दूर
बरेली, अमृत विचार: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मौलाना तौकीर के सिर से गिरफ्तारी की तलवार फिलहाल हट गई है। इसके बाद सवाल उठ रहा है कि पहले फास्ट ट्रैक कोर्ट और फिर जिला जज की अदालत के आदेश के बाद भी पुलिस आखिर क्यों तौकीर को गिरफ्तार नहीं कर सकी। अफसर गिरफ्तारी के लिए टीमों का गठन कर कई राज्यों में दबिश देने का दावा तो करते रहे लेकिन असल में तौकीर कई दिनों से बरेली में ही थे। इसी जुमे को उन्होंने दरगाह आला हजरत की रजा मस्जिद में अलविदा की नमाज भी अदा की थी।
सेशन कोर्ट के एक के बाद एक आदेश और पुलिस की टालमटोल कई सवाल खड़े कर रही है। पांच मार्च को दंगे का मुख्य अभियुक्त करार देकर तौकीर को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने हाजिर होने का आदेश दिया लेकिन पुलिस ने अगली तारीख तक समन ही तामील नहीं कराया। इसके बाद 13 मार्च को गैरजमानती वारंट जारी हुआ तो टीमें गठित कर देश के कई राज्यों में दबिश देने का दावा किया गया लेकिन तौकीर की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। सूत्रों के मुताबिक इस बीच पुलिस टीमें दिल्ली में मौलाना के नजदीक भी पहुंचीं लेकिन फिर भी उन पर हाथ नहीं डाल सकीं।
इस बीच 19 मार्च को जैसे ही हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के आदेश पर रोक लगाकर तौकीर को 27 मार्च तक पेश होने का आदेश दिया, तौकीर बरेली में प्रकट हो गए। उन्होंने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। हाईकोर्ट की ओर से दी गई मोहलत खत्म होने के दो दिन पहले वह बरेली के खुशलोक अस्पताल में भर्ती हो गए जहां से उन्हें बाईपास सर्जरी के लिए दिल्ली के लिए रेफर कर दिया गया। इस बीच पुलिस ने उन पर निगरानी तक नहीं रखी। 27 मार्च के बाद गैरजमानती वारंट फिर प्रभावी हो गया, तब भी पुलिस ने दिल्ली में भर्ती बताए जा रहे तौकीर पर निगरानी बैठाने की कोशिश नहीं की।
गिरफ्तारी वारंट के प्रभावी रहते ही तौकीर पिछले दिनों बरेली आ गए। पुलिस अफसरों के दावों के मुताबिक इस समय भी दो टीमें तौकीर की तलाश कर रही थीं। तौकीर ने बरेली आने के बाद जुमे पर रजा मस्जिद में सैकड़ों लोगों के बीच अलविदा की नमाज भी अदा की। कहा जा रहा है कि ऐसा बहुत मुश्किल है कि पुलिस को इसकी भी जानकारी न रही हो।
गिरफ्तारी न होने पर बार-बार नाराजगी जताती रही अदालत
दंगे के केस में पिछली सुनवाई के दौरान भी जिला जज ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि तौकीर न पेश हुए न उन्हें गिरफ्तार किया गया। इससे पहले मार्च में भी केस की तीन-चार सुनवाई हुईं, हर बार अदालत ने गिरफ्तारी न होने पर नाराजगी जताई लेकिन पुलिस एक बार भी तनाव में नहीं दिखी। इस बीच सीओ पंकज श्रीवास्तव ने कुर्की की प्रक्रिया के तहत तौकीर के घर पर धारा 82 का नोटिस चस्पा किया। दो अन्य आरोपी अबरार और आरिफ को जरूर जेल भेज दिया गया। इसी तरह वक्त कटता रहा और आखिरकार तौकीर सुप्रीम कोर्ट से राहत पाने में कामयाब हो गए।
तौकीर रजा की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमें लगातार दबिश दे रही थीं, कोर्ट के आदेशानुसार धारा 82 के तहत नोटिस भी चस्पा किया गया था लेकिन तौकीर की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। सुप्रीम कोर्ट से तौकीर रजा को कोई राहत मिलने की अभी मेरे पास आधिकारिक सूचना नहीं है--- पंकज श्रीवास्तव, सीओ फर्स्ट।
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