रमजान का तीसरा अशरा बड़ा अफजल :मौलाना 

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Published By Jagat Mishra
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रुदौली/ अयोध्या, अमृत विचार। माह ए रमजान के दो अशरे रहमत और मगफिरत के खत्म हो गए। इन दो अशरों में अल्लाह के नेक बंदों से जो भी टूटी फूटी इबादत हुई अल्लाह उसे कुबूल फरमा ले और माह ए रमजान के तीसरे अशरे को भी इबादत वाला बना दे। यह अशरा बड़ा ही अफजल है और जहन्नुम की आग से आज़ादी दिलाने वाला अशरा है।
  
यह बात मौलाना कामिल हुसैन नदवी ने माह ए रमजान पर रोशनी डालते हुए की। उन्होंने बताया कि रमजान का तीसरा अशरा बहुत ही अफजल  है। यह 20 वें रमजान से शुरू होता है। इसे निजात वाला अशरा कहा गया है। इसमें रोजेदार जहन्नम की आग से आजादी का परवाना हासिल करने के लिए अल्लाह की इबादत में जी-जान से जुटे रहते हैं।इसी अशरे में पांच शबे कद्र आती है जिनमें से सबसे अफजल और रुहानी 27 वीं शबे कद्र को माना गया है। उन्होंने बताया कि इसी रात को आसमान से कुरान शरीफ नाजिल हुआ था। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को इन पांचों शबे कद्र में ज्यादा से ज्यादा इबादत कर अल्लाह तआला के दरबार में अपनी हाजिरी देनी चाहिए। शायद इससे खुश होकर अल्लाह हमारी दुआएं कुबूल फरमाकर हमें दुनिया में अमन की जिन्दगी अता कर दे।

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हजरत अली की शहादत के शोक में निकला मातमी जुलूस 
शिया समुदाय के पहले इमाम तथा मुसलमानों के चौथे खलीफा हजरत अली की शहादत पर मस्जिदों और इमामबाड़ों में शुरू मजलिसों का दौर चल रहा है। अजादारों ने शहादत पर आंसुओं का नजराना पेश किया। 21वीं रमजान का जुलूस सोमवार रात मोहल्ला सलार से दूधाधारी कर्बला तक निकाला गया। 

19 से 21 रमजान तक मनाए जाने वाले शोक में शिया मुसलमान काले लिबास पहने हुए हजरत अली के प्रतीकात्मक ताबूत की जियारत के लिए बड़ी संख्या में शामिल रहे और मातम कर मौला-ए-कायनात की शहादत पर आंसुओं का नजराना पेश किया। कुढा सादात,कोपा सादात, मंझनपुर में शहादत पर मजलिस और मातम का आयोजन कर जुलुस निकाला गया। कोतवाली प्रभारी देवेन्द्र सिंह समेत पुलिस बल मौजूद रहा। नगर पालिका परिषद की सफाई की कोई व्यवस्था नहीं थी।

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