Ganga Mela: सरसैया घाट पर होगी सियासी रंग की बौछार...देर रात से ही कैंप लगने हो गए शुरू

Amrit Vichar Network
Published By Nitesh Mishra
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कानपुर, अमृत विचार। चुनावी माहौल में गंगा मेला का महत्व काफी बढ़ जाता है। शुक्रवार देर रात तक कचहरी के निकट चेतना चौराहे से लेकर सरसैया घाट तक सामाजिक संस्थाओं, राजनीतिक दलों, जातीय संगठनों, प्रशासन, नगर निगम, जलकल विभाग के कैंप लगाए जाते रहे।

लोकसभा चुनाव की घोषणा के कारण गंगा मेला में सियासी रंग चढ़ना तय है। भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा, वामदलों ने अपने-अपने कैंप लगाने की तैयारी कर ली है। प्रत्याशियों के साथ ही जनप्रतिनिधियों की भागीदारी और जिला प्रशासन की उपस्थिति रंग को और भी गहरा कर देगा।

गंगा मेला आयोजन के पीछे क्रांतिकारियों की कथा है। प्रयागनारायन शिवाला निवासी शंकरदत्त मिश्रा बताते हैं कि होली के दिन हटिया बाजार के रज्जन बाबू पार्क में कुछ नवयुवकों ने अंग्रेजी हुकूमत की मनाही के बाद भी तिरंगा फहरा दिया। और अबीर-गुलाल उड़ाकर नाच गा रहे थे।

इसकी भनक लगते ही करीब एक दर्जन घोड़ों पर सवार फिरंगी हुकूमत के कारिंदों (पुलिस) ने युवको को मना किया और झंडा उतारने लगे। विरोध करने पर पुलिस ने युवकों को पीटना शुरू कर दिया। गुलाबचंद्र सेठ, बुद्धूलाल मेहरोत्रा, नवीन शर्मा, विश्वनाथ टंडन, हमीद खान, गिरधर शर्मा समेत 45 लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।

फिरंगियों की दमनात्मक कार्रवाई के विरोध में बाजार बंद हो गया। मिलें, कारखाने बंद हो गए। वाहनों का चक्का जाम कर दिया गया। इस बड़े आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता कूद पड़े। आंदोलन के चौथे दिन अनुराधा नक्षत्र पर पकड़े गए युवकों को रिहा करना पड़ा।

उनके स्वागत में भारी भीड़ जेल के फाटक पर पहुंची। उस दिन फिर रंग खेला गया। रंगों का ठेला निकाल कर हटिया बाजार से नयागंज, चौक सराफा आदि मोहल्लों से गुजरते हुए दो बजे जुलूस समाप्त हुआ। इस घटना के 82 साल से जुलूस हटिया के रज्जनबाबू पार्क पर समाप्त होता है। अबकी 83वां वर्ष होगा।

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