Dehradun: AIIMS के डॉक्टर्स ने 82 साल की बजुर्ग महिला को दिया जीवनदान, ब्रेन ट्यूमर की सफल रही सर्जरी 

Dehradun: AIIMS के डॉक्टर्स ने 82 साल की बजुर्ग महिला को दिया जीवनदान, ब्रेन ट्यूमर की सफल रही सर्जरी 

देहरादून। उत्तराखंड में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के ऋषिकेश स्थित इकाई के चिकित्सकों ने ब्रेन ट्यूमर से ग्रसित एक 82 वर्षीया बुजुर्ग महिला की जटिलतम सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। अपने आप में यह किसी चमत्कार से कम नहीं है, जो आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और विशेषज्ञों की दक्षता से संभव हुआ। 

इस अप्रतिम सफलता के लिए संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने चिकित्सकीय टीम को बधाई दी है। एम्स के वरिष्ठ शल्य चिकित्सक डॉ. जितेन्द्र चतुर्वेदी ने सोमवार को बताया कि उनकी न्यूरो-सर्जिकल टीम ने उक्त पीड़ित महिला के मस्तिष्क में आसपास के स्वस्थ ऊतकों को नुकसान के जोखिम को कम करते हुए ट्यूमर को हटाने के लिए ग्रसित भाग को सावधानीपूर्वक नेविगेट किया। 

उन्होंने बताया कि पांच घंटे तक चली इस जटिल तंत्रिका शल्य चिकित्सा प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अपने अंजाम तक पहुंचाने के लिए सटिकता, कौशल और न्यूरोसर्जिकल सिद्धांतों की गहरी समझ की नितांत आवश्यकता थी। जो इस जटिलतम सर्जरी को सफलता से अंजाम देकर एवं बुजुर्ग महिला को जीवनदान देकर विशेषज्ञों ने साबित कर दिया है। 

उन्होंने कहा, “"मुझे शल्य चिकित्सा के उच्चतम मानक की देखभाल प्रदान करने के लिए हमारी टीम के समर्पण और प्रतिबद्धता पर बेहद गर्व है।” न्यूरो एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख प्रोफेसर (डॉ.) संजय अग्रवाल ने मरीज के प्रभावशाली इच्छा शक्ति और मेडिकल टीम के सहयोगात्मक प्रयासों की प्रशंसा की। इस मामले से जुड़े चिकित्सकों के अनुसार बीते माह में की गई यह सर्जरी महिला के मस्तिष्क में एक बड़े ट्यूमर से मरीज को राहत दिलाने के कारण आवश्यक हो गई थी। 

उन्होंने बताया कि इस बीमारी से रोगी को गंभीर सिरदर्द, संज्ञानात्मक हानि और चलने-फिरने में कठिनाई, दुर्बलता और लकवा जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ रहा था। महिला अपने दैनिक कार्य करने में असमर्थ थी I ऐसी स्थितियों वाले बुजुर्ग मरीजों के ऑपरेशन से अत्यधिक जोखिम व चुनौती के बावजूद, एम्स, ऋषिकेश की मेडिकल टीम ने दृढ़ संकल्प और विशेषज्ञता के साथ इस कार्य को बखूबी अंजाम दिया। 

चिकित्सकों की इस उपलब्धि पर प्रोफेसर मीनू सिंह ने कहा, “एम्स, ऋषिकेश में हम अपने सभी रोगियों को उच्चतम गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और यह सफल सर्जरी उस प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है।” उन्होंने बताया कि ब्रेन ट्यूमर से ग्रसित व्यक्ति की बीमारी की वजह से उनके पारिवारिकजनों के लिए यह समय बेहद परेशानी वाला और चुनौतिपूर्ण होता है। 

ऐसे में इस जटिलतम केस को सफलतापूर्वक अंजाम देने में हमारे चिकित्सकों ने जो कामियाबी हासिल की, यह हमारे लिए भी गर्व की बात है कि हम लोग किसी मरीज को जीवनदान देने के साथ ही उनके परिवार को इस स्थिति से उबारने का माध्यम बन सके। प्रो. सिंह ने बताया कि एम्स न्यूरो सर्जिकल रोगियों को दुनिया के किसी भी बड़े शहर के बराबर बेहतर उपचार एवं देखभाल प्रदान करने के लिए नवीनतम सर्जिकल तकनीकों और गैजेट्स से लैस है।

 यहां न्यूरो सर्जरी विभाग पूरी तरह से इंट्रा-ऑपरेटिव सीटी स्कैन, न्यूरो-एंडोस्कोपी और नेविगेशन सिस्टम से सुसज्जित है, जो देश में किसी भी न्यूरोसर्जिकल सुविधा के बराबर होने के लिए इस प्रकार की सर्जरी के लिए आवश्यक है।

एम्स की डीन एकेडमिक प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने कहा कि यह एक बड़ी चुनौती थी, जब परिवार का कोई सदस्य इतनी अधिक उम्र में मरीजों की सर्जरी से इनकार करता है, तो यह जानना जरूरी है कि 2021 के राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय महिलाओं की औसत जीवित रहने की दर 68.9 वर्ष है। उन्होंने वृद्धा का ऑपरेशन कराने के परिवार के फैसले की सराहना की।

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