खराब चरित्र के आधार पर सेनानी सम्मान से वंचित करना अनुचित :हाई कोर्ट 

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Published By Jagat Mishra
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोकतंत्र सेनानी सम्मान अधिनियम, 2016 के तहत लाभ का दावा करने वाली याचिका पर विचार करते हुए कहा कि केवल खराब चरित्र होने का आरोप किसी व्यक्ति को उक्त सम्मान के लाभ का दावा करने से वंचित नहीं किया जा सकता है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने मोहम्मद राशिद खान की याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया। याचिका में आयुक्त, चित्रकूट धाम मंडल, बांदा और जिलाधिकारी, हमीरपुर के आदेश को चुनौती दी गई थी। 

कोर्ट ने आगे कहा कि अधिनियम की धारा 3 के तहत राजनीतिक आधार के अलावा हिरासत में लिए गए किसी भी व्यक्ति पर यह अधिनियम लागू नहीं होता है। यह आंतरिक सुरक्षा रख रखाव अधिनियम, 1971 (मिसा) के तहत हिरासत में लिए गए लोगों पर ही लागू होगा। उक्त अधिनियम के तहत याची का दावा इस आधार पर खारिज किया गया कि वह राजनीतिक बंदी नहीं था बल्कि खराब चरित्र के लिए आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम 1971 के तहत हिरासत में लिया गया था। कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि प्रतिवादी याची के दावे को खारिज करने को उचित ठहराने के लिए कोई भी सामग्री प्रस्तुत नहीं कर सका है, साथ ही हिरासत से जुड़े विवरण अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है, क्योंकि यह किसी साक्ष्य द्वारा सिद्ध नहीं होता है कि याची को किसी अन्य आपराधिक आरोप में हिरासत में लिया गया था, इसलिए कोर्ट ने माना कि याची को आपातकाल (1975-1977) के दौरान विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के कारण एक राजनीतिक बंदी बनाया गया था। अतः कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए याची को उक्त सम्मान के लाभों से वंचित करने का आधार रद्द कर दिया।

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