Kanpur News: आईआईटी ने खोजी कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवा; मरीजों को नहीं होगा कोई साइड इफेक्ट
कानपुर, अमृत विचार। आईआईटी कानपुर ने कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवा खोज निकाली है। दवा के कंटेंट पर शोध कर रहे विशेषज्ञों ने दावा किया है कि इसके सेवन से शरीर पर साइड इफेक्ट होने की संभावना बेहद कम है। शोध-अनुसंधान के दौरान मरीज के शरीर में दवा के काम करने के तरीके पर भी काम किया गया।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर के जैविक विज्ञान और बायोइंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन से यह समझने में सफलता पाई है कि नियासिन जैसी कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं आणविक स्तर पर कैसे काम करती हैं। शोध में अत्याधुनिक क्रायोजेनिक-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (क्रायो-ईएम) तकनीक का उपयोग करते हुए, प्रोफेसर अरुण के शुक्ला के नेतृत्व वाली टीम नियासिन और अन्य संबंधित दवाओं के सक्रिय प्रमुख लक्ष्य रिसेप्टर अणु को दृष्टिगोचर करने में सफल रही। यह शोध जिसमें कम दुष्प्रभावों के साथ कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए नई दवाओं के विकास की संभावना है, प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका, नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित किया गया है।
प्रोफेसर अरुण के शुक्ला ने बताया कि ‘नियासिन’ आमतौर पर खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने की दवा है। लेकिन कई रोगियों में दवा के दुष्प्रभाव होते हैं। इनमें त्वचा की लालिमा और खुजली, जिसे फ्लशिंग प्रतिक्रिया कहा जाता है। इससे मरीज़ इलाज बंद कर देते हैं और उनके कोलेस्ट्रॉल स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हाइड्रोक्सीकार्बोक्सिलिक एसिड रिसेप्टर 2 (एचसीए-2), जिसे नियासिन रिसेप्टर या 'जीपीआर109ए' के रूप में भी जाना जाता है, मानव शरीर में एक प्रकार का रिसेप्टर है जो वसा से संबंधित और धमनी-अवरुद्ध प्रक्रियाओं को रोकने में मदद करता है।
जब यह सक्रिय होता है, तो यह रक्त वाहिकाओं को भी चौड़ा कर सकता है, यही कारण है कि नियासिन जैसी कुछ कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाओं के कारण कुछ रोगियों को लाल, लाल त्वचा की प्रतिक्रिया का अनुभव होता है। उन्होंने यह भी बताया कि आणविक स्तर पर नियासिन के साथ रिसेप्टर अणु 'जीपीआर109ए' के तालमेल का विजुलाइजेशन नई दवाओं के निर्माण के लिए आधार तैयार करता है जो अवांछनीय प्रतिक्रियाओं को कम करते हुए प्रभावकारिता बनाए रखती हैं।
इस अध्ययन के नतीजे कोलेस्ट्रॉल के लिए संबंधित दवाएं और मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी अन्य स्थितियों के लिए दवाएं विकसित करने में भी मदद करेंगे। आईआईटी के निदेशक प्रो. एस. गणेश ने कहा की यह एक महत्वपूर्ण सफलता है, क्योंकि यह दवा-रिसेप्टर इंटरैक्शन के बारे में हमारी समझ को गहरा करती है और बेहतर चिकित्सीय एजेंटों के डिजाइन के लिए नए रास्ते खोलती है। यह उपलब्धि अनुसंधान में नवाचार और उत्कृष्टता के माध्यम से वास्तविक दुनिया की स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने के प्रति हमारे समर्पण का उदाहरण देती है।