लखनऊ: विश्व धूम्रपान निषेध दिवस कल, तम्बाकू के धुएं में पाये जाते हैं हानिकारक 7000 रसायन 

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Published By Jagat Mishra
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लखनऊ, अमृत विचार। भारत में लगभग 12 करोड़ लोग सक्रिय धूम्रपान करने वाले हैं और 63 प्रतिशत परिवार के सदस्य परोक्ष धूम्रपान (Passive Smoking) करने वाले हैं। लगभग 30 प्रतिशत वयस्क सार्वजनिक स्थानों पर परोक्ष धूम्रपान करने वाले हैं। जब कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है, तो वह केवल 30 प्रतिशत धुआं ही ग्रहण करता है, जबकि बाकी का 70 प्रतिशत धुआं परोक्ष धूम्रपान वालों के जीवन को प्रभावित करता है या पर्यावरणीय तम्बाकू के धुएं के रूप में पर्यावरण को प्रदूषित करता है। यह जानकारी केजीएमयू में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने विश्व धूम्रपान निषेध दिवस की पूर्व संध्या पर दी है। 

उन्होंने बताया कि बीड़ी पीना, सिगरेट पीने से भी अधिक हानिकारक है। तम्बाकू के धुएं में लगभग 7000 रसायन पाये जाते हैं जो मानव शरीर में विभिन्न स्वास्थ्य खतरों के लिए जिम्मेदार होते हैं और 70 रसायन कैंसरकारी होते हैं। परोक्ष धूम्रपान सक्रिय धूम्रपान जितना ही हानिकारक है। धूम्रपान से विभिन्न प्रकार के कैंसर और फेफड़े, हृदय, मस्तिष्क, गुर्दे, यकृत, आंत, हड्डियों आदि से संबंधित कई बीमारियाँ हो सकती हैं। इसके अलावा फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो जाती है और साथ ही प्रतिरक्षा भी कम हो जाती है। डॉ. सूर्यकांत, इंडियन सोसाइटी अगेंस्ट स्मोकिंग के पूर्व सचिव ने बताया कि वर्तमान समय में हवाई अड्डे, होटल और रेस्तरां आदि में जो स्थान धूम्रपान के लिए चिन्हित किया जाता है वो धूम्रपान क्षेत्र शायद ही कभी सीओटीपीए (कोटपा अधिनियम) आवश्यकताओं के अनुरूप होते हैं और वास्तव में हमारी जनता को परोक्ष धूम्रपान के द्वारा स्वास्थ्य को कई खतरों में डाल रहे हैं। इन स्थानों पर धूम्रपान क्षेत्रों को कोटपा अधिनियम के अनुकूल बनाने की आवश्यकता है या फिर इन क्षेत्रों में धूम्रपान पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए

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