मुख्यमंत्री विजयन का बड़ा बयान, 'केरल में CAA लागू नहीं करेंगे', ममता समेत इन नेताओं ने भी किया विरोध
नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार के नोटिफिकेशन के बाद आज नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू हो गया है। इस बीच केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) को सांप्रदायिक आधार पर विभाजन पैदा करने वाला कानून करार देते हुए सोमवार को कहा कि इसे दक्षिणी राज्य में लागू नहीं किया जाएगा।
विजयन ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘सरकार ने बार-बार कहा है कि सीएए केरल में लागू नहीं किया जाएगा, जो मुस्लिम अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक मानता है। यह रुख बरकरार है। सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी इस कानून के खिलाफ पूरा केरल एकजुट होगा।’’
उनका यह बयान केंद्र द्वारा विवादास्पद सीएए, 2019 को लागू करने की घोषणा के तुरंत बाद आया है। सीएए को लागू करने से जुड़े नियमों को सोमवार को अधिसूचित कर दिया गया जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से दस्तावेज के बिना आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। वहीं, बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से लेकर इन नेताओं ने इसका विरोध किया।
अगर सीएए के कारण लोगों के साथ भेदभाव होता है, तो इसका विरोध करूंगी : ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि अगर नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) लोगों के समूहों के साथ भेदभाव करता है, तो वह इसका विरोध करेंगी।
सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के लिए संवेदनशील करार देते हुए बनर्जी ने कहा कि वह लोकसभा चुनाव से पहले अशांति नहीं चाहती हैं। राज्य सचिवालय में जल्दबाजी में बुलाए गए एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, बनर्जी ने कहा, ‘‘ऐसी खबरें हैं कि सीएए को अधिसूचित किया जाएगा। मैं यह स्पष्ट कर दूं कि हम लोगों के साथ भेदभाव करने वाली किसी भी चीज का विरोध करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (केंद्र) नियम सामने आने दीजिए, फिर हम नियमों को पढ़ने के बाद इस मुद्दे पर बात करेंगे।’’
लागू करने में देरी क्यों: दिग्विजय सिंह
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सवाल पूछा कि सीएए लागू होने में इतनी देरी क्यों हुई. अगर देरी की ही थी तो इसे चुनाव के बाद लागू कर देते क्या दिक़्कत थी. उनका एक ही मक़सद है, हर मुद्दे को हिन्दु मुस्लिम करना. संविधान में हर व्यक्ति को अपना धर्म पालन करने का अधिकार है. अगर किसी कानून में ऐसा है कि ‘कौन धर्म के आधार पर नागरिक बन सकता है कौन नहीं’ तो, ये संविधान के हिसाब से ठीक नहीं।
चुनाव से पहले सीएए लागू करना ध्रुवीकरण का प्रयास: कांग्रेस
कांग्रेस ने विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 को लागू करने से जुड़े नियमों को अधिसूचित किए जाने के बाद सोमवार को आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव से पहले देश और खासकर पश्चिम बंगाल एवं असम में ध्रुवीकरण का प्रयास किया गया है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि चुनावी बॉण्ड पर उच्चतम न्यायालय की फटकार के बाद सरकार ने ‘हेडलाइन मैनेज करने’ की कोशिश भी की है। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘दिसंबर, 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए। प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल पेशेवर और समयबद्ध तरीक़े से काम करती है। सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफ़ेद झूठ की एक और झलक है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि सीएए के नियमों की अधिसूचना के लिए नौ बार समयसीमा बढ़ाने की मांग के बाद इसकी घोषणा करने के लिए जानबूझकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले का समय चुना गया है। रमेश ने दावा किया, ‘‘ऐसा स्पष्ट रूप से चुनाव में ध्रुवीकरण करने के लिए किया गया है, विशेष रूप से असम और बंगाल में। यह चुनावी बॉण्ड घोटाले पर उच्चतम न्यायालय की कड़ी फटकार और सख़्ती के बाद ‘‘हेडलाइन को मैनेज करने’ का प्रयास भी प्रतीत होता है।’’
ओवैसी बोले
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदु्द्दीन ओवैसी ने दावा किया कि सीएए का कोई और मकसद नहीं, सिर्फ मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना है। ओवैसी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘आप क्रोनोलॉजी समझिए। पहले चुनाव का मौसम आएगा, फिर सीएए के नियम आएंगे। सीएए पर हमारी आपत्तियां जस की तस बरकरार हैं। सीएए विभाजनकारी है और गोडसे की उस सोच पर आधारित है, जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सताए गए किसी भी व्यक्ति को शरण दी जाए, लेकिन नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता पर आधारित नहीं होनी चाहिए। सरकार को बताना चाहिए कि उसने इन नियमों को पांच साल तक क्यों लंबित रखा और अब इसे क्यों लागू कर रही है। एनपीआर-एनआरसी के साथ, सीएए का उद्देश्य केवल मुसलमानों को निशाना बनाना है, इसका कोई अन्य उद्देश्य नहीं है।’’
ओवैसी ने कहा, ‘‘सीएए, एनपीआर-एनआरसी का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरे भारतीय नागरिकों के पास फिर से इसका विरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।’’
सीएए की अधिसूचना जारी करने का केंद्र सरकार का निर्णय देश विरोधी : केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को आरोप लगाया कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 को अधिसूचित करने का नरेन्द्र मोदी नीत केंद्र सरकार का कदम देश विरोधी है। उन्होंने दावा किया कि आगामी लोकसभा चुनाव में जनता इसका जवाब देगी। केजरीवाल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में आरोप लगाया कि सीएए लागू करना भाजपा की ‘‘ओछी राजनीति’’ है , जिसका मकसद पड़ोसी देशों के गरीब लोगों को भारत में अपना वोट बैंक बनाना है।
केजरीवाल ने एक्स पर कहा, ‘‘10 साल देश पर राज करने के बाद चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार सीएए लेकर आयी है। ऐसे वक़्त में जब गरीब और मध्यम वर्ग महंगाई से कराह रहा है और बेरोजगार युवा रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है, उन असली मुद्दों का समाधान करने के बजाय ये लोग सीएए लाये हैं।’’
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा कि भाजपा कह रही है कि तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘इसका मतलब वे पड़ोसी देशों के लोगों को भारत में लाकर बसाना चाहते हैं। क्यों? अपना वोट बैंक बनाने के लिए। जब हमारे युवाओं के पास रोजगार नहीं है तो पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों को रोजगार कौन देगा? उनके लिए घर कौन बनाएगा? क्या भाजपा उनको रोजगार देगी? क्या भाजपा उनके लिए घर बनाएगी?’’
केजरीवाल ने कहा कि खासकर असम और पूरे पूर्वोत्तर के लोग सीएए का सख्त विरोध करते हैं, जो बांग्लादेश से होने वाले प्रवास के शिकार रहे हैं और जिनकी भाषा और संस्कृति आज खतरे में है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने असम और पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों को धोखा दिया है और जनता इसका जवाब लोकसभा चुनाव में देगी।
विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), 2019 को लागू करने से जुड़े नियमों को सोमवार को अधिसूचित कर दिया गया, जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से दस्तावेज के बिना आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। एक बार सीएए के नियम जारी हो जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार 31 दिसंबर,2014 तक भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी।
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