लखनऊ: नियुक्तियों के लिफाफों ने खोले 'विवि के राज', मिले कई गहरे 'दाग', आठ शिक्षकों को किया गया सूचीबद्ध
लखनऊ, अमृत विचार। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में उन नियुक्तियों के लिफाफे खुल गए हैं, जिनमें गहरे दाग थे। ऐसे में एक एककर 8 शिक्षकों को सूचीबद्ध किया गया है। ठोस कार्रवाई को लेकर रविवार देर शाम तक बैठकों का दौर जारी रहा।
भाषा विश्वविद्यालय में पूर्व कुलपति के कार्यकाल में कई नियुक्तियां की गई थीं। बताते हैं कि इन नियुक्तियों के द्वारा मानकों की अनदेखी की गई। सूत्रों की मानें तो इसकी जानकारी उच्च प्रशासन को तब लगी, जब इसकी गोपनीय शिकायतें की जानें लगीं। लेखा परीक्षा विभाग प्रयागराज की एक रिपोर्ट के बाद कुलाधिपति कार्यालय से पूछे गए सवालों पर विवि प्रशासन में हड़कंप मच गया।
लिफाफे खोजे गए तो 14 शिक्षक नियमों से इतर मिले। ऐसे में कुलपति नरेन्द्र बहादुर सिंह ने एक कमेटी गठित की। जिसमें रजिस्ट्रार डॉ. भावना मिश्रा को शामिल किया गया। बंद लिफाफे से निकले साक्ष्यों को जांच करने का क्रम बीस दिनों से जारी था। रविवार को तथ्यों से मिले इनपुट के बाद निर्णय को लेकर एक बैठक की गई। जिसमें रजिस्ट्रार डॉ. भावना मिश्रा शामिल हुईं। देर शाम तक उच्च प्रशासन को जानकारी दी जाती रही। बताते हैं कि कड़ी कार्रवाई को लेकर निर्णय ले लिया गया है। इसमें असिस्टेंड प्रोफेसर से लेकर कई अन्य शामिल हैं।
असिस्टेंट बन गए प्रोफेसर
प्रकरण दस वर्षों से लंबित है। बताते हैं वर्ष 2013 में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद की भर्ती हुई थी। इसको लेकर जिम्मेदारों द्वारा उन्हें सीधे प्रोफेसर ही नियुक्त कर दिया गया। इसमें भाषा विवि के कई बड़े पदों पर आसीन भी शामिल रहे।
आठ शिक्षकों के निष्कासन की चर्चा
भाषा विश्वविद्यालय में जांचोपरांत आठ शिक्षकों पर बड़ी कार्रवाई किये जाने की बात सामने आई है। हालांकि इस बात को लेकर विवि के कुलपति और रजिस्ट्रार ने पुष्टि नहीं की है। लेकिन बताया जा रहा है कि कार्रवाई की जद में असिस्टेंट प्रोफेसर सहित कुल आठ शिक्षक शामिल किये गए हैं।
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