यूपी राज्यसभा चुनाव: बागी विधायकों पर भड़के अखिलेश यादव, भाजपा पर लगाया बड़ा आरोप
लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायकों द्वारा ‘क्रॉस वोटिंग’ किये जाने की आशंका के बीच पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि जो लोग इस स्थिति में ‘‘फायदा’’ तलाश रहे हैं, वे छोड़कर चले जाएंगे। उन्होंने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर चुनाव जीतने के लिए सभी हथकंडे अपनाने का आरोप लगाया।
अखिलेश यादव ने मंगलवार को दोपहर बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘हमारी राज्यसभा की तीसरी सीट दरअसल सच्चे साथियों की पहचान करने की परीक्षा है और ये जानने की कि कौन-कौन दिल से पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के साथ है और कौन अंतरात्मा से इनके खिलाफ है। अब सब कुछ साफ है, यही तीसरी सीट की जीत है।’’
इसके पहले मतदान के लिए विधानसभा पहुंचे यादव से जब उनके द्वारा बुलाई गई बैठक में पार्टी विधायकों की अनुपस्थिति के बारे में पत्रकारों ने पूछा तो उन्होंने कहा, ‘‘ जो स्थिति का फायदा तलाश रहे हैं वो छोड़कर चले जाएंगे। जिनसे वादा किया गया होगा वे जाएंगे। ’’ उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘जो लोग किसी की राह में कीलें बिछाते हैं या दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं, वे खुद गिर जाते हैं।’’
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा चुनाव जीतने के लिए सभी हथकंडे अपनाएगी। सपा प्रमुख ने कहा, ‘‘ किसी को सुरक्षा की चिंता होगी, किसी को धमकाया गया होगा, किसी को कुछ और कहा गया होगा और जिसके अंदर लड़ने का साहस नहीं होगा वही जाएंगे।’’
अखिलेश यादव ने यह भी स्पष्ट किया कि बागियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। यादव ने कहा, ‘‘ आप देख चुके हैं कि चंडीगढ़ में सीसीटीवी कैमरों के सामने क्या हुआ? मैं उच्चतम न्यायालय को धन्यवाद देता हूं जिसने संविधान को बचाया। भाजपा चुनाव जीतने के लिए सभी हथकंडे अपना सकती है। उसने कुछ लाभ का आश्वासन (कुछ विधायकों को) दिया होगा...भाजपा जीतने के लिए कुछ भी करेगी।’’
राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान से एक दिन पहले सोमवार को पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा बुलाई गई बैठक में सपा के आठ विधायक शामिल नहीं हुए थे। सपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि पार्टी प्रमुख ने विधायकों को राज्यसभा चुनाव की मतदान प्रक्रिया के बारे में जानकारी देने के लिए एक बैठक बुलाई थी।
हालांकि, उत्तर प्रदेश विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय और सात अन्य विधायक- मुकेश वर्मा, महराजी प्रजापति, पूजा पाल, राकेश पांडेय, विनोद चतुर्वेदी, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह बैठक में शामिल नहीं हुए। सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में स्वीकार किया था कि आठ विधायक पार्टी प्रमुख द्वारा बुलाए गए रात्रिभोज और बैठक में शामिल नहीं हुए थे।
हालांकि, उन्होंने विधायकों का नाम नहीं बताया। राज्यसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आठ और समाजवादी पार्टी (सपा) ने तीन उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। भाजपा ने अपने आठवें उम्मीदवार के रूप में संजय सेठ को मैदान में उतारा है। समझा जाता है कि इस कारण एक सीट पर कड़ी प्रतिस्पर्धा होने की संभावना है।
भाजपा के सात अन्य उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.पी.एन. सिंह, पूर्व सांसद चौधरी तेजवीर सिंह, पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के महासचिव अमरपाल मौर्य, पूर्व राज्य मंत्री संगीता बलवंत (बिंद), पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी, पूर्व विधायक साधना सिंह और आगरा के पूर्व महापौर नवीन जैन हैं।
सपा ने अभिनेत्री-सांसद जया बच्चन, सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी एवं उप्र के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और दलित नेता रामजी लाल सुमन को मैदान में उतारा है। 403 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भाजपा और सपा सबसे बड़े दल हैं। भाजपा के 252 और सपा के 108 विधायक हैं।
सपा की गठबंधन सहयोगी कांग्रेस के पास दो सीट हैं। भाजपा की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के पास 13, निषाद पार्टी के पास छह, राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के पास नौ, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के पास छह, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के पास दो और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पास एक सीट है।
फिलहाल विधानसभा में चार सीट खाली हैं। एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने के खातिर एक उम्मीदवार को लगभग 37 प्रथम-वरीयता मतों की आवश्यकता होगी।
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