बाराबंकी: अदभुत और अलौकिक बनेगा प्रभु श्रीराम का गुरूधाम, विशाल पार्क के बीच स्थापित होगा सप्त ऋषि धाम

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Published By Sachin Sharma
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बड़ी देवी मंदिर व भगवान चन्द्र प्रभू के मंदिरों को मिलेगा नया आकार  

सतीश श्रीवास्तव बाराबंकी। जिला प्रशासन की कार्य योजना यदि सफल रही तो अयोध्या जाने वाले पर्यटक प्रभू श्री राम के श्री राम के गुरु धाम यानी सप्त ऋषि आश्रम आए बिना नहीं रह सकेंगे। यहां स्थित मंदिरों को भव्यता प्रदान करने के साथ-साथ रेठ नदी के तट तक एक विशाल पार्क निर्माण की तैयारी है। जिसके लिए फिलहाल आसपास की जमीन का ब्यौरा तैयार कराया जा रहा है।

कार्य योजना में जो जमीन शामिल की जा रही है उनमें तीन अलग-अलग ट्रस्ट दावेदार हैं। एक ट्रस्ट बड़ी देवी मंदिर का है जिसे सप्त ऋषि धाम के नाम से भी जाना जाता है। दूसरा ट्रस्ट उदासीन अखाड़े का है। जहां अत्यंत प्राचीन मूर्तियां स्थापित है।  चंद्र प्रभु के मंदिर के रूप में यह स्थान जाना जाता है। जहां सप्त ऋषि धाम का भी बैनर तक हुआ है। तीसरा ट्रस्ट एक जड़ी बूटी के जरिए आयुर्वेदिक दावों के निर्माण करने वालों का है। तीनों ट्रस्टों को पास मिलकर 70 बीघा एकड़ से अधिक जमीन है। जिला प्रशासन ने संबंधित ट्रस्टों के पदाधिकारी से बातचीत शुरू कर दी है।

इन तीनों ट्रस्ट से यदि समझौता हो जाता है तो इससे सट कर बहने वाली रेठ नदी के पास भी काफी जमीन है। रेठ नदी की ओर जाने वाले रास्ते पर बड़ी देवी का मंदिर स्थापित है। इसी मंदिर में सप्त ऋषियों गुरु वशिष्ठ, गौतम ऋषि, विश्वामित्र, जमदग्नि, भारद्वाज, कश्यप ऋषि व अत्रि मुनि की प्रतिमाएं स्थापित हैं।

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मंदिर के पुजारी बाबा विशाल दास बताते हैं प्रतिमाएं 500 साल से अधिक पुरानी। मां बड़ी देवी की प्रतिमा रामायण कालीन होने की संभावना है। जिसे बाद में पुनः स्थापित किया गया। उदासीन आश्रम में पहले मिट्टी से ही बना था। बाद में मंदिर का कुछ हिस्सा ईंटों से बनाया गया। जो  जीर्ण शीर्ण हो चुका है।

मंदिर में बैठे पूर्व प्रधान मिश्री लाल यादव बताते हैं कि यही असली सप्त ऋषि आश्रम है। यहां अत्यंत प्राचीन कई मूर्तियां दबी हुई है। कुछ मूर्तियां रखी हैं। भगवान चन्द्र प्रभू की मूर्ति तो बाद में एक संत आए थे उन्होंने स्थापित की थी। मंदिर के मुख्य द्वार पर सप्त ऋषि धाम होने का बैनर भी लगा हुआ है। तीसरे हिस्से पर जड़ी बूटियां की खेती होती है। यहां मिले वैद्य राज केपी तिवारी बताते हैं कि एसडीएम का फोन आया था। अभी सही स्थिति सामने नहीं है।  

सप्त ऋषि धाम के आसपास जो जमीनी स्थित है। उन पर तीन अलग-अलग ट्रस्ट का मालिकाना हक है। हम उनसे बातचीत कर रहे हैं। बातचीत सफल रही तो हमारी योजना इससे धाम को विकसित कर भव्य पर्यटन केंद्र के बनाने की है। बिहार एक विशाल पार्क का निर्माण कर रेठ नदी के तट तक जोड़ा जाएगा। इसके लिए जरूरी होगा कि तीनों ट्रस्ट राजी हों।

                                                                                                          सत्येंद्र कुमार, जिलाधिकारी, बाराबंकी

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