हल्द्वानी: बनभूलपुरा बवाल: तमंचे से फायर हो गया मिस... मैं बच गया... वर्ना…

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Published By Bhupesh Kanaujia
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हल्द्वानी, अमृत विचार। बनभूलपुरा बलवा में अमृत विचार के छायाकार संजय कनेरा अब धीरे-धीरे सामान्य होने लगे हैं, लेकिन उस काले गुरुवार को याद कर वह अभी भी सिहर जा रहे हैं। शनिवार को जब नैनीताल रोड के एक निजी अस्पताल में भर्ती कनेरा को डॉक्टरों ने बोलने की इजाजत दी तो उन्होंने दर्द से कराहते हुए आपबीती सुनाई ।  

बनभूलपुरा में हुए बलवे के दौरान उपद्रवियों ने लात-घूंसों, डंडों, पत्थरों, धारदार हथियार से कनेरा पर जानलेवा हमला  कर उनका कैमरा, मोबाइल, पर्स, अंगूठी व घड़ी लूट ली थी। बाद में वे उन्हें अधमरी हालत में मंडी छोड़कर फरार हो गए। पहले उन्हें बेस अस्पताल पहुंचाया गया था। बाद में उनकी हालत को देखते हुए उन्हें नैनीताल रोड स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया है। उनके सिर पर गंभीर चोटें आई हैं, हाथ की उंगलियां टूटी हैं।  बीते शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी अस्पताल पहुंचकर उनका हालचाल जाना था। 
 

कनेरा बताते हैं-  पत्थरबाजी व आगजनी की घटनाओं के दृश्यों को कैद करते हुए मैं एक अन्य छायाकार साथी राजेंद्र सिंह बिष्ट बबली के साथ आगे बढ़ रहा था। समय बीतने के साथ-साथ पत्थरबाज अधिकाधिक उग्र होते गए।इस बीच आसमान में काला धुआं देखा तो माथा ठनका। बगीचे के चारों तरफ बाहर निकलने वाले रास्तों पर उपद्रवियों ने आग लगा दी थी। सरकारी व निजी वाहनों में आग लगाई जा रही थी। 

हम इन दृश्यों को कैद करने आगे बढ़े तो अचानक उपद्रवियों की भीड़ ने हमें घेर लिया। भीड़ दो गुटों में बदल गई। एक गुट ने मुझे पकड़ा और दूसरे ने बबली को। मुझे लात-घूंसों से बुरी तरह पीटे जाने लगा। जब मेरे मुंह से खून निकलने लगा तो किसी ने कहा यह मर जाएगा। तब उन्होंने छोड़ा। इस हालत में बाइक के पास पहुंचा तो देखा वह तोड़ दी गई थी। जैसे-तैसे बाइक स्टार्ट कर उजाला नगर गली की ओर बढ़ा।

तभी एक आदमी ने मेरा कैमरा छीन लिया। मैंने कहा भाई रोजी रोटी इसी से चलती है, चिप ले लो कैमरा छोड़ दे। जवाब में फिर तीन-चार थप्पड़ मिले और लात मार कर भगा दिया। वहां से उजाला नगर वाली रोड पर बढ़ा तो 14 से 19 वर्ष की उम्र के दर्जनों लड़कों ने फिर से घेर लिया। वे लाठी-डंडों से मारने लगे। तब तक मैं अधमरा हो चुका था और औंधे मुंह जमीन पर गिरा पड़ा था। तभी उपद्रवियों ने हेलमेट उतारने को कहा। हेलमेट उतारी तो एक उपद्रवी ने खुद ही मेरी गर्म टोपी उतार दी। फिर उपद्रवियों ने वहीं पास में पड़ा एक बड़ा पत्थर उठाया और सिर पर मार दिया।

मेरे सिर से खून बहने लगा, तभी किसी ने पीछे से धारदार हथियार से वार किया। मैं पूरा लहूलुहान हो गया। इस बीच एक ने मेरी जेब से मोबाइल निकाला, किसी ने अंगूठी तो किसी ने घड़ी। वहां किसी ने कहा अब यह मर जाएगा। इतना सुनते ही एक उपद्रवी में मेरे पेट से सटाकर तमंचे से फायर किया, किस्मत थी कि फायर मिस हो गया और मैं बच गया।

तभी वहां दो लड़के पहुंचे और बोले रहने दो अब छोड़ दो इसे। दोनों ने मुझे अपने कंधों के सहारे बाहर निकलने वाले रास्ते पर ले गए। उन्होंने एक बाइक सवार से मदद मांगी और मोहल्ले के एक अस्पताल ले गए। मैंने कहा कि एसटीएच छोड़ दे भाई तो उसने इनकार कर दिया। बाद में मेरे कहने पर उस लड़के ने मेरे एक दोस्त को फोन मिलाया और मेरी बात करवाई। फिर मुझे मंडी छोड़कर चला गया। मेरा दोस्त पहुंचा और बेस अस्पताल लेकर पहुंचा। जहां मेरा उपचार शुरू हुआ।

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