हल्द्वानी: बनभूलपुरा प्रकरण: स्टांप पर खरीदी सरकारी जमीन और धौंस जमींदारों वाली

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Published By Bhupesh Kanaujia
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हल्द्वानी, अमृत विचार। मलिक का बगीचा में नगर निगम और प्रशासन की कार्रवाई के दौरान यहां रहने वाले लोग जमीन और मकान के मालिकाने हक का कोई वैध दस्तावेज नहीं दिखा पाए। जमीनों के अवैध कब्जेदारों ने इनको लाखों रुपये में जमीन बेची और अब जब प्रशासन अतिक्रमण हटा रहा है तो अवैध कब्जेदार जमींदारों की तरह धौंस दिखा रहे हैं। 

अधिकारियों के अनुसार यहां बड़े पैमाने में सरकारी जमीनों पर कब्जा करके उन्हें बेचा गया है और करोड़ों रुपयों की कमाई की गई है। अब परेशान वे लोग हैं, जिन्होंने उन खरीदी गई जमीनों पर भवन बना लिए हैं और अब उनके भवन अतिक्रमण की जद में आ रहे हैं।

यहां लोगों ने बताया कि यहां कुछ रसूखदारों लोगों के पास यहां सालों से जमीनों के कब्जे थे। उन्हें राजनीतिक शह भी थी। वही लोग लोगों से लाखों रुपये लेकर जमीन पर उन्हें कब्जा दे देते थे। औपचारिकता के तौर पर एक स्टांप पर इस इकरारनामे को लिखा जाता था। हालांकि उस स्टांप की नोटरी भी नहीं कराई जाती थी। नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय का भी कहना है कि कोई भी व्यक्ति सरकारी जमीन पर अपना स्वामित्व कैसे बता सकता है।

फिलहाल तो यहां सरकारी जमीन को बेचने का खेल सालों से चल रहा है। देखते ही देखते भवन पर भवन बनते हुए। सरकारी जमीनें बेचकर करोड़ों रुपये कमाने वालों का कोई नाम नहीं बता पा रहा है। यहां तक की जिन्होंने जमीनें खरीदी हैं वह भी ठीक से नाम और पता नहीं बता पा रहे हैं। 

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