Moradabad News : यूपी की पहली लाइब्रेरी...जहां कमिश्नर की पहल पर दिव्यांग बच्चों को बनाया जा रहा शिक्षित और आत्मनिर्भर

Moradabad News : यूपी की पहली लाइब्रेरी...जहां कमिश्नर की पहल पर दिव्यांग बच्चों को बनाया जा रहा शिक्षित और आत्मनिर्भर

अब्दुल वाजिद, अमृत विचार। मंडलायुक्त आंजनेय कुमार की पहल पर जिले में दिव्यांग बच्चों के लिए उत्तर प्रदेश की पहली लाइब्रेरी की शुरुआत की गई। लाइब्रेरी को शुरू करने का मकसद दिव्यांग बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ना और आत्मनिर्भर बनाना है। मुरादाबाद के कंपोजिट स्कूल दांग के परिसर में स्थित यूपी की पहली 'सुगम्य पुस्तकालय' में दिव्यांग बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए अरविंद कमार, मोनिका दिवाकर और मुकुल मुधुकर की तैनाती की गई है। तीनों दृष्टि बाधित बच्चों को ट्रेनिंग देते हैं, जबकि शालनी सिंह, अनीता मिश्रा और कुलदीप सिंह श्रवण बाधित बच्चों के ट्रेनर हैं। इसके अतिरिक्त पूजा अवस्थी, कमलेश कुमारी और मंजू रानी ये सभी बौद्धिक दिव्यांग बच्चों को ट्रेनिंग देते हैं। 

सुगम्य पुस्तकालय में आने वाले दिव्यांग बच्चों को स्पेशल एजुकेटर पढ़ा रहे हैं। यहां आने वाले खास तौर पर बच्चे दृष्टि बाधित दिव्यांगता, मूक बधिर दिव्यांगता, बौद्धिक दिव्यांगता और अस्थि दिव्यांगता में आने वाले बच्चों हैं। जिन्हे सभी तरह की दिव्यंका से संबंधित सभी तरह के स्टूमेंट मौजूद हैं। जैसे ब्रेल लिपि से संबंधित ब्रेसलेट अबाकस आदि हैं। जबकि गणित समझाने के लिए टेलर फ्रेम आदि मौजूद है, लो विजन बच्चों के लिए लेंस मेगनीफायर ग्लास और लार्ज बुक और ब्रेल बुक्स से पढ़ाया जा रहा है। जबकि श्रवण बाधित बच्चों के लिए हियरिंग इंस्ट्रूमेंट से सिखाया जा रहा है साथ ही स्पीच ट्रेनर बच्चों को स्पीच थेरेपी दे रहे हैं।

सितंबर 2023 को 'सुमंग्य पुस्कलाय' की हुई थी शुरुआत 
स्पेशल एजुकेटर मोनिका दिवाकर बताती हैं कि मंडलायुक्त आंजनेय कुमार की पहला पर सितंबर 2023 को 'सुमंग्य पुस्कलाय' की शुरुआत की थी। ये उत्तर प्रदेश की पहली लाइब्रेरी है, जहां दिव्यांग बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती हैं। उन्होंने बताया यहां आने वाले सभी बच्चे दिव्यांग हैं, ऐसे बच्चे जिन्हे बहुत कम या बिलकुल दिखाई नहीं देता...वो बच्चे जो पूरी तरह सुन नहीं सकते या वो बच्चे मंदबुद्धि बच्चों को शिक्षा दी जाती है। 

तीन दर्जन से अधिक दिव्यांग बच्चे ले रहे हैं शिक्षा 
मोनिका दिवाकर बताती हैं की ब्लाइंड बच्चों को ब्रेल के माध्यम से सिखाया जाता है, जबकि मूक बधिर बच्चों को स्पीच और साइन लैंग्वेज और अन्य तरीकों से उन्हें सिखाया जाता है। इसके अलावा मनबुद्धि बच्चों को भी एक्टिविटी के अनुरूप उनको सिखाया जाता है। उन्होंने बताया हर दिव्यांग श्रेणी के शिक्षक यहां अलग-अलग समय में मौजूद रहते हैं। उन्होंने बताया की इस लाइब्रेरी में लगभग तीन दर्जन से अधिक दिव्यांग बच्चे शिक्षा ले रहे हैं साथ ही बच्चों के माता पिता भी काफी खुश हैं की उनका बच्चा प्रतिदिन कुछ न कुछ नया सीख रहा है। मोनिका बताती हैं की लाइब्रेरी में  पढ़ने वाले बच्चों के अंदर आत्म विश्वास पैदा हो रहा है। वो समझ रहे हैं की हम भी आम बच्चों की तरह कुछ कर सकते हैं कुछ बन सकते हैं।

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