हल्द्वानी: ओ ईजा... 20 रुपये में बस लहसुन की दो गांठ
हल्द्वानी, अमृत विचार। मिसेज पांडे ने सब्जी खरीदकर उसके पैसे दिए, दुकानदार शेष बचे 20 रुपये लौटाने लगा तो उन्होंने कहा कि इसका लहसुन दे दो। जब दुकानदार लहसुन देने लगा तो मिसेज पांडे के मुंह से बसबस ही निकल पड़ा, ओ ईजा, 20 रुपये में लहसुन की दो गांठ'। इस पर दुकानदार ने कहा कि मैडम लहसुन का भाव 400 रुपये प्रति किलो चल रहा है।
मिस्टर तिवारी रसोई में सब्जी बनाने के लिए लहसुन छीलने लगे तो मिसेज तिवारी तपाक से बोली, 'आप रहने दो, मैं सब्जी बना लूंगी।' इन दिनों लहसुन के दाम आसमान छू रहे हैं व लगभग सभी घरों में लहसुन को लेकर ऐसी ही प्रतिक्रियाएं हो रही हैं। शायद, आपके घर में भी हो रही होंगी। मंगल पड़ाव सब्जी मंडी में इक्का-दुक्का लोग ही लहसुन बेच रहे हैं।
एक ठेले पर हरी मिर्च, धनिया, अदरक आदि चीजें थीं लेकिन लहसुन नदारद दिखा। पूछने पर दुकानदार ने कहा कि 400 रुपये किलो लहसुन हो रहा है, लोग उसका भाव पूछकर आगे बढ़ जा रहे हैं, इसलिए हमने बेचना ही बंद कर दिया।
आढ़तियों ने बताया कि पिछले सीजन में किसानों को लहसुन के दाम ठीक नहीं मिले थे, इसलिए इस बार कम लोगों ने लहसुन लगाई। साथ ही, पिछले साल अक्टूबर में बारिश से लहसुन की फसल खराब भी हो गई, इसलिए उसके दाम बढ़ गए। उन्होंने बताया कि मार्च के बाद नई फसल बाजार में आने के बाद ही लहसुन के दाम में गिरावट आएगी। वर्तमान में मंडी में रामपुर, दिल्ली, राजस्थान आदि से लहसुन आ रहा है।
किसानों को नहीं मिल पाता बढ़े दाम का लाभ
लहसुन के दाम बढ़ने से किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा। प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा ने बताया कि इस समय दाम बढ़ने का लाभ बिचौलिए उठा रहे हैं, क्योंकि किसान की फसल बाजार में मार्च-अप्रैल में आएगी।
आजकल खाने में लहसुन डाल ही कौन रहा है, हम तो बिना लहसुन के ही सब्जी बना रहे हैं। इतनी महंगाई में रसोई चलाना बहुत मुश्किल है।
- शांति बिष्ट, गृहिणी
जब तक पुराना लहसुन चल रहा था, तब तक खाया, अब बाजार से लाते ही नहीं हैं। लहसुन 100 रुपये पाव है, इतना महंगा लहसुन खाना हम जैसे आम लोगों के बस का नहीं है।
- सोनिया तिवारी, गृहिणी
पहले अधिकांश सब्जियों में लहसुन डालते थे लेकिन अब जिसमें जरूरी होता है, उसी में डालते हैं। बिना लहसुन के सब्जी खाने की आदत हो गई है।
- खीला देवी, गृहिणी
400 रुपये किलो लहसुन लेने की बजाए हम 10 रुपये का लहसुन का पेस्ट का पाउच ले आते हैं। उसी को दाल-सब्जी में डाल रहे हैं।
- ज्योति कंवर, गृहिणी
