पीलीभीत: एनएमसी टीम के आने की लगी भनक, अव्यवस्थाओं के बीच एमसीएच विंग में शिफ्ट कर दिया महिला अस्पताल
पीलीभीत, अमृत विचार। मेडिकल कॉलेज बनने के बाद मान्यता के लिए फरवरी में एनएमसी टीम का दौर संभावित है। जिसको लेकर तैयारियां तेज कर दी गई है। जहां मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने अव्यवस्थाओं के बीच महिला अस्पताल को एमसीएच विंग के भवन में शिफ्ट करा दिया है।
आलम यह है कि एमसीएच विंग में खिड़कियों के शीशे और दरवाजे टूटे पड़े हैं। साथ ही एक फ्लोर पर टाइल्स चटककर अंदर की ओर से धंस गई है। ऐसे में एनएमसी टीम ने अगर वहां का दौरा किया तो मेडिकल कॉलेज प्रशासन के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है।

जिले में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2020 में मेडिकल कॉलेज को मंजूरी दी थी। खाग गांव में एकेडमिक भवन, लैब, प्रशासनिक भवन, प्रोफेसर, कर्मचारी आवास का निर्माण लगभग पूरा हो गया है। अब सिर्फ फिनिशिंग का काम बाकी है। वहीं, जिला अस्पताल परिसर में बन रहे 200 बेड अस्पताल भवन और स्टाफ के हॉस्टल का निर्माण चल रहा है। जिससे कार्यदायी संस्था ने मई तक हैंडओवर करने की बात कह रही है।
कॉलेज में सत्र 2024-25 से एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए संकाय सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। वहीं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग में मान्यता के लिए अनुमति मांगी है। इसके साथ ही निर्माणाधीन स्वशासी कॉलेज को मान्यता दिलाने की कवायद तेज कर दी गई है। स्वशासी मेडिकल कॉलेज में नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की टीम इस माह आ सकती है। इसके लिए कमियों को दुरुस्त किया जा रहा है।
एनएमसी की मान्यता मिलने के बाद यहां एमबीबीएस की पढ़ाई और मरीजों का उपचार एक साथ शुरू हो जाएगा। एनएमसी टीम के दौरे से पहले सपा सरकार में बनवाई गई एमसीएच विंग (मदर चाइल्ड विंग) में नवागत प्रिसिपंल डॉ. संगीता अनेजा ने शिफ्ट करा दिया है। महिला अस्पताल के लेवर रुम, ओटी, वार्ड, पीकू वार्ड समेत अन्य को वहां शिफ्ट कर दिया है।
मगर कोविड काल के बाद से बंद पड़ी एमसीएच विंग के भवन को दुरुस्त कराए बिना ही अस्पताल को वहां शिफ्ट कर दिया गया है। वहां लगी पानी की मशीनों की सफाई नहीं कराई गई है और न ही वार्डो में लगे खिड़कियों के शीशे और दरवाजों को ठीक कराया गया है। इतना ही नहीं पांचवे फ्लोर पर टाइल्स भी जगह-जगह से चटक गई है। जिन्हें ठीक तक नहीं कराया गया है।

इसके अलावा सबसे बड़ी बात पूरा महिला अस्पताल तो यहां शिफ्ट कर दिया। मगर गर्भवतियों को जांच के लिए पुराने भवन में ही जाना पड़ रहा है। जिससे वहां शिफ्ट नहीं किया गया है। पहले गर्भवती एमसीएच विंग में पर्चा बनाएं। फिर पैदल चलकर पुराने भवन में अपनी जांचें और अल्ट्रासाउंड कर दोबारा से दिखाने के लिए एमसीएच विंग में आए। जो गर्भवती महिलाओं के संभव नहीं है।
बंद पड़ी लिफ्ट, पांच फ्लोर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों का सहारा
एमसीएच विंग का भवन बनने के पांच माह बाद ही यह लिफ्ट खराब हो गई। जिसको आज तक ठीक नहीं कराया गया है। कोरोना काल में तीन साल इसमें कोविड वार्ड संचालित किया जाता रहा। मगर लिफ्ट ठीक नहीं कराई गई। अब महिला अस्पताल को वहां शिफ्ट कर दिया है। लेकिन फिर भी लिफ्ट ठीक नहीं कराई गई है। कार्यदायी संस्था को कई बार पत्र जारी किया गया है। फिर लिफ्ट ठीक नहीं हो सकी है। ऐसे मे गर्भवतियों और बीमार बच्चों को लेकर परिवार वालों को सीढ़िया या रैप के सहारे पांच मंजिल तक जाना पड़ रहा है।

फायर सिस्टम भी कई जगह ध्वस्त
एमसीएच विंग में कई जगह फायर सिस्टम भी खराब पड़ा है। जिससे दुरुस्त नहीं कराया गया है। आलम यह है कि कई जगह होजपाइप नहीं है। तो कहीं लाइन टूटी पड़ी है। जिससे अस्पताल ठीक कराने से पहले ठीक नहीं कराया गया है। जो एनएमसी दौरे के दौरान मेडिकल कॉलेज में बाधा बन सकता है।
महिला अस्पताल में शिफ्ट होगी 30 बेड की इमरजेंसी
मेडिकल कॉलेज बनने के बाद एनएमसी टीम को एक ही स्थान पर 30 बेड की इमरजेंसी वार्ड का मानक होता है। जो कॉलेज में पूरा नहीं हो पा रहा है। पुराने स्थान पर संचालित हो रही इमरजेंसी के अलावा ओपीडी वाले चैंबर को वार्ड में तब्दील किया था। मगर नवागत प्रिंसिपल ने उसे रिजेक्ट कर दिया है। उनका कहना है कि इमरजेंसी में 30 बेड के ही स्थान पर होना चाहिए। ईएमओ एक स्थान पर बैठकर अलग-अलग जगह ध्यान नहीं दे सकता है। इसलिए महिला अस्पताल में 30 बेड की इमरजेंसी को शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है।
ये भी पढे़ं- पीलीभीत: बच्चों को गन प्वाइंट पर लिया, परिवार को बंधक बनाकर लाखों लूटे...तीन टीमें सुरागरसी में जुटीं
