पर्यटकों की भाषाई राह आसान करेगा डायल112, तमिल, बंगाली, पंजाबी, उड़िया समेत अन्य विदेशी भाषाओं में मिलेगी हेल्प
अयोध्या, लखनऊ समेत अन्य जगहों पर आने वाले पर्यटकों को मिलेगा फायदा, हर एक पीआरवी में होगा भाषाओं को समझने और बोलने का सिस्टम
विनय शुक्ला/लखनऊ, अमृत विचार। देश के कई हिस्सों से भारी मात्रा में लोग प्रदेश के पर्यटन स्थलों की सैर करने आते हैं। कई बार पयर्टकों के समक्ष भाषाई संकट खड़ा हो जाता है। अपराधिक घटनाओं में तो भाषा की और दिक्कतें आती हैं।
ऐसे में पुलिस कंट्रोल रूम यानि 112 पर मुख्यालय में बैठे कर्मियों को उनकी भाषा समझने और बोलने में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। पयर्टकों की भाषा समझने में दिक्कत न होने पाए इसे देखते हुए डायल-112 ने एक नई सेवा शुरू की है। नई सेवा के तहत देश के किसी भी शहर में रहने वाले कॉलर अपनी भाषा में पुलिस कंट्रोल रूम पर कॉल कर हरसम्भव मदद ले सकता है।
हेल्प डेस्क सेवा की शुरुआत पहली बार
दरअसल, प्रदेश के शहरों और ग्रामीण अंचलों से डायल-112 मुख्यालय में हजारों कॉल आती है। अक्सर मदद मांगने के लिए ऐसी कॉल आती है। उसकी भाषा समझ पाना मुख्यालय में बैठे कर्मचारियों को समझना मुश्किल हो जाता है। खासतौर यह कॉल पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, केरल, हैदराबाद, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब समेत अन्य राज्यों के रहने वाले लोगों से जुड़ी होती है। कॉल रिसीव होने पर यह लोग अपनी भाषा में मदद की गुहार लगाते हैं।
फोनकर्ता की समस्या समझने और उन्हें हर संभव मदद के लिए डायल-112 के मुख्यालय में पहली बार पांच हेल्प डेस्क बनाई गई हैं। जहां मुख्यालय में बैठे कर्मचारियों को अलग-अलग भाषाओं का प्रशिक्षण दिया गया है।
वालंटियर को कॉल कांफ्रेंस कर निकाला जाएगा हल
डायल-112 एडिशनल पाठक के मुताबिक, मुख्यालय में अलग-अलग भाषाओं से रही कॉल को समझने के लिए काफी जद्दोजहत करनी पड़ती थी। अब पांच हेल्प डेस्क के माध्यम से इस तरह की कॉल को स्पेशल हेल्प डेस्क पर ट्रांसफर कर दिया जाएगा। स्पेशल हेल्प डेस्क पर कार्यरत कर्मचारी इन कॉल को उठाएंगे और पीड़ितों की समस्या सुनने के बाद उनकी संभव मदद करेंगे। यदि ऐसी भाषा है जिन्हें समझने या बोलने में दिक्कत आ रही है तो उस प्रदेश के बैठे वालंटियर को कॉल कांफ्रेंस कर दी जाएगी। जिसके बाद फोनकर्ता की सुनकर डायल-112 मुख्यालय में बैठे कर्मचारी पीआरवी में तैनात (पुलिस वैन) पुलिसकर्मियों को हिंदी में मैसेज बनाकर भेज देगी, ताकि घटनास्थल पर पहुंची पुलिसकर्मियों को कोई दिक्कत न आए।
पर्यटन स्थलों पर भी मिलेगा फायदा
खासतौर पर प्रदेश के कई स्थानों पर पयर्टक घुमने फिरने आते हैं। वह अक्सर अन्य सहायता के लिए पुलिस कंट्रोल रूम पर कॉल करते हैं। हेल्प डेस्क सेवा के बाद पुलिस बहुभाषी पर्टयकों के पास पहुंचकर उन्हें सुरक्षा का एहसास भी दिलाने का काम करेगी। इसके अलावा अन्य सहायता में भी मददगार साबित होगी। इसमें 50 से ज्यादा भाषाओं के लोगों की मदद पुलिस करेगी। इसमें धार्मिक स्थल के अलावा ऐतिहासिक स्थलों को भी फायदा मिलेगा।
घटनास्थल पर पुलिस ऐसे करेगी कम्युनिकेट
एडिशनल एसपी ने बताया कि शिकायतकर्ता की शिकायत लिखने के बाद पुलिस मुख्यालय में कायर्रत कर्मचारी फौरन नजदीकी पीआरवी में सूचना देंगे। सूचना मिलते ही पुलिसकर्मी घटनास्थल पर पहुचंते ही शिकायतकर्ता से मिलने के बाद भाषणी एप्लीकेशन का इस्तेमाल करेगें। यह एप में देश में बोली जाने वाली तमाम भाषा का संग्रह भी है। जिसमें माध्यम से पुलिसकर्मी शिकायकर्ता को समझाने का जतन करेगी। मसलन, जो भी बातचीत होगी, बोलकर या लिखकर एक दूसरे की बातें समझ लेगी। इसके बाद पुलिस को आगे की कार्रवाई करने में आसानी होगी।
रोजाना 50 से 100 कॉल औसतन अन्य भाषाओं में आती है। जिनकी भाषा को समझने के लिए काफी दिक्कतें आती है। हेल्प डेस्क के माध्यम से हर एक भाषा में शिकायतकर्ता की बात सुनी जाएगी और उस समस्या का हल निकाला जाएगा..,नीरा रावत, एडीजी, डायल-112 यूपी।
प्रदेश में यहां-यहां से आते हैं पर्यटक
- पश्चिम बंगाल
- उड़ीसा
- केरल
- हैदराबाद
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र,
- पंजाब
- गुजरात
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