अयोध्या: ...अंतत: रामजी के दर पर पहुंच गई मुस्लिम बेटी शबनम, बोली- हमारे रामजी सभी के हैं, फतवे का नहीं डर!

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Published By Sachin Sharma
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मिल्कीपुर, अयोध्या। मुंबई से अयोध्या में श्री रामलला के दर्शन के लिए पैदल निकली शबनम शेख रविवार को कुमारगंज पहुंची। लोगों ने उनका खूब स्वागत सत्कार किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मेरे लिए फतवा कोई मायने नहीं रखता है।

भाजपा नेता विजय कुमार उपाध्याय ने समर्थकों के साथ जनपद की सीमा पर स्वागत किया। इस दौरान शबनम शेख ने कहा कि मेरा मकसद केवल भगवान राम का दर्शन करना है। अभी तक मेरी 39 दिन की पैदल यात्रा हो चुकी है। कहा कि बचपन में रामायण देखती थी, रामलीला देखी हूं। भगवान राम के किस्से सुने हैं। कहीं न कहीं मैं उनसे बहुत प्रभावित हुई हूं।

हिंदू इलाके में रहने के कारण मैंने उनके बारे में काफी कुछ जाना है। बताया 21 दिसंबर 2023 को मुंबई से पैदल चली थीं। तीन दोस्त विनीत पाण्डेय, रमन राज शर्मा तथा एक शुभम गुप्ता साथ चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि 1388 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर ली है।

तीन दशक तक ठिठकी सी रही अयोध्या अब है निहाल

वर्ष 1986 से लेकर 2019 तक लगभग 33 साल अयोध्या में रामकोट रहा हो या फिर रामघाट तक का प्रमुख इलाका मंदिर-मस्जिद विवाद के नाते अयोध्या यहां ठिठकी सी रही। समय-समय पर इसने भारी सुरक्षा और वीरानी का दंश भी इस अवधि में झेला। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर निर्माण शुरू हुआ और अब जब बीते 22 जनवरी को रामलला की नए भव्य गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा हुई तो राम भक्त निहाल और अयोध्या चहक रही है। अब चाहे रामकोट का इलाका हो या फिर अयोध्या के रामघाट का, यहां पहुंचिए तो आप पहचान नहीं पाएंगे कि यह वही 30 साल तक ठिठकी हुई अयोध्या है। आपकी आंखें चौंधिया जाएंगी। 

राम की नगरी का महत्वपूर्ण रामकोट क्षेत्र हो या रामघाट का इलाका अब गुलजार हो चुका है। राम मन्दिर जाने के लिए अब श्रद्धालु संकरी गलियों से नहीं बल्कि चौड़े-चौड़े मार्गों से जाने लगे हैं। इसके लिए रामपथ और धर्मपथ जैसे फोरलेन मार्ग बन चुके हैं। रामकोट क्षेत्र में दर्जनों ऐसे मंदिर थे, जो कभी वीरान जैसे थे, लेकिन अब वहां की आध्यात्मिक आभा श्रद्धालुओं को बरबस खींच लाती है। कभी रामकोट में भीड़ नियंत्रण मुश्किल होता था। रामकोट में रामजन्मभूमि, कनकभवन, हनुमानगढ़ी समेत अन्य पीठ है, जहां रोजाना हजारों श्रद्धालु आते हैं। अब रामकोट जाने के लिए चौड़े रास्ते हैं।

श्रृंगारहाट से रामजन्मभूमि तक 80 फीट चौड़ी सड़क का विकास भक्तिपथ के रूप में किया गया है। इस पर आधुनिक सुविधाएं भी विकसित की जा चुकी हैं। इसी अयोध्या का दूसरा इलाका रामघाट है। यहां भी अब चहल-पहल बढ़ गई है। राम मंदिर आंदोलन के शुरूआती दौर में ही इस रामघाट के इलाके में ही श्रीराम जन्मभूमि न्यास और विश्व हिंदू परिषद ने अपने पांव रखे थे। इसी रामघाट इलाके में राम मंदिर की पत्थर तराशी की दो कार्यशालाएं खोली गईं थीं और राम मंदिर आंदोलन की गतिविधियों का केंद्र कारसेवकपुरम बनाया गया।

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