चेक गणराज्य के सांसदों ने अंतरराष्ट्रीय महिला अधिकार संधि को किया खारिज
प्राग। चेक गणराज्य के सांसदों ने महिलाओं के अधिकारों पर एक अंतरराष्ट्रीय संधि का समर्थन किए जाने के खिलाफ मतदान किया है। चेक संसद के उच्च सदन में उपस्थित 71 सीनेटर में से केवल 34 ने बुधवार को इस्तांबुल संधि के समर्थन में मतदान किया, जबकि इसे पारित करने के लिए दो और सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता थी।
मतदान के बाद, संसद का निचला सदन संधि पर आगे नहीं बढ़ेगा और चेक गणराज्य उन देशों में से एक होगा जिन्होंने दस्तावेज पर हस्ताक्षर तो किये हैं लेकिन उसका अनुसमर्थन नहीं किया है। यूरोपीय परिषद ने पूरे महाद्वीप में महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए 2011 में दस्तावेज को अंगीकृत किया था। चेक गणराज्य ने संधि पर 2016 में हस्ताक्षर किया था। मतदान ने रूढ़िवादी और उदारवादी सांसदों के बीच विभाजन को प्रदर्शित किया है।
रूढ़िवादियों ने तर्क दिया कि यह दस्तावेज समाज में पुरुषों और महिलाओं के लिए पारंपरिक भूमिकाओं को चुनौती देता है तथा अन्य देशों में इसका अनुसमर्थन किये जाने से वहां महिलाओं के खिलाफ हिंसा को कम करने में मदद नहीं मिली है। कई गिरिजाघरों ने भी इसका विरोध किया है। मतदान से ठीक पहले, राष्ट्रपति पेत्र पावेल ने अंतिम क्षणों में अपील की थी कि देश को इसका जल्द अनुसमर्थन करना चाहिए और इसमें देर करने की कोई वजह नहीं है। स्लोवाकिया, यूरोपीय परिषद का एक और सदस्य देश है जिसने संधि को 2020 में खारिज कर दिया था जबकि बुल्गारिया ने उससे दो साल पहले इसे खारिज किया था।
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