शैक्षिक ढांचे पर सवाल
बच्चों की बुनियादी साक्षरता के स्तर में बड़ी गिरावट हमारे शैक्षिक ढांचे पर सवालिया निशान है। संख्यात्मक कौशल की तुलना में उनकी पढ़ने की क्षमता बहुत तेजी से खराब हो रही है। शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट 2023 (एएसईआर) से पता चलता है कि देश के सरकारी स्कूलों में 56 प्रतिशत किशोर गणित की सामान्य प्रक्रियाएं नहीं कर पाते। करीब 25 प्रतिशत छात्र क्षेत्रीय भाषा में कक्षा-दो का पाठ भी धाराप्रवाह ढंग से नहीं पढ़ पाते।
यह एक राष्ट्रीय स्तर का घरेलू सर्वेक्षण है। रिपोर्ट के लिए 26 राज्यों के 28 जिलों में 14-18 आयुवर्ग के 34745 बच्चों पर सर्वे किया गया। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के दो ग्रामीण जिलों व अन्य सभी प्रमुख राज्यों के कम से कम एक ग्रामीण जिले में सर्वे किया गया। यह ग्रामीण भारत में बच्चों की स्कूली शिक्षा और सीखने की स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करता है।
रिपोर्ट के मुताबिक 14-18 आयु वर्ग के ग्रामीण बच्चों के बीच कला/मानविकी विषय पहली पसंद है। इस स्ट्रीम में 11वीं कक्षा या उससे अधिक के 55.7 प्रतिशत छात्र नामांकित हैं। इसके बाद एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में 31.7 प्रतिशत और वाणिज्य में 9.4 प्रतिशत हैं। एएसईआर में बताया गया है कि लड़कियों की तुलना में बड़ी संख्या में लड़के कक्षा 12 के बाद पढ़ना नहीं चाहते।
रिपोर्ट के नतीजे किशोरों के बीच कौशल की भारी कमी की ओर इशारा करते हैं, उनमें से कई लोग नौकरी बाजार में प्रवेश करने से केवल कुछ ही साल दूर हैं। विडंबना है कि पचास फीसदी से अधिक किशोर-किशोरी गणित की सामान्य जोड़-घटाव की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाते, लेकिन स्मार्टफोन की जटिल प्रक्रिया के संचालन में दक्ष हैं।
दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति ही कही जाएगी कि मोबाइल की लत नई पीढ़ी के बच्चों की वह एकाग्रता भंग कर रही है जो उन्हें निरंतर पढ़ाई के लिए चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां लगभग एक चौथाई लड़कों ने शिक्षा छोड़ने के लिए ‘रुचि की कमी’, वहीं लगभग 20 प्रतिशत लड़कियों ने इसके लिए ‘पारिवारिक बाधाएं’ को जिम्मेदार ठहराया है। आमतौर पर पढ़ाई छोड़ने के अन्य कारणों में ‘वित्तीय बाधाएं’ और परीक्षा में ‘असफलता’ शामिल हैं।
वास्तव में वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट के नतीजे विचलित करने वाले हैं। हालात निराशाजनक नहीं बल्कि चुनौतीपूर्ण हैं। निष्कर्ष बताते हैं कि आने वाले भारत का भविष्य कैसा होगा? सरकार, समाज और अभिभावकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को अच्छी स्कूली शिक्षा मिले। प्राथमिक विद्यालय स्तर पर बच्चों की बुनियादी पढ़ाई और गणित की शिक्षा में तत्काल सुधार की आवश्यकता है। इस संकट के सभी पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए।
