Video : बिस्मिल्ला हिर-रहमा-निर रहीम से शुरू होती हैं इस रामायण की चौपाइयां, 300 साल पहले सोने के अक्षरों में हुआ था फारसी अनुवाद
लाइब्रेरी में लगी प्रदर्शनी में पांडुलिपियों को किया गया प्रदर्शित, वर्ष 2024 के कैलेंडर का भी हुआ विमोचन
सुहैल जैदी, रामपुर, अमृत विचार। आपको जानकार ताज्जुब होगा कि दुनिया में एक ऐसी भी रामायण है जिसकी चौपाइयां बिस्मिल्ला हि-रहमा-निर रहीम से शुरू होती हैं। इस रामायण का एक-एक अक्षर सोने से लिखा गया है। अब जबकि अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर बनकर तैयार है और प्राण प्रतिष्ठा की बेला करीब आ रही है, तो बुधवार को लोगों ने इस अनोखी रामायण को अपनी आंखों से देखा। मौका था रजा लाइब्रेरी एंड म्यूजियम में भारतीय चित्रकला में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम विषय पर पवित्र रामायण की विशेष प्रदर्शनी का।
इसका उद्घाटन शहर विधायक आकाश सक्सेना और ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अभिनव जे जैन ने किया। इस अवसर पर रामपुर रजा लाइब्रेरी के कैलेंडर में 2024 का भी विमोचन किया गया। कैलेंडर में लाइब्रेरी में संग्रहीत वाल्मीकि रामायण के दुर्लभ लघुचित्रों को दर्शाया गया है। ये वही रजा लाइब्रेरी है जिसे विश्व पटल पर ले जाने का सपना पीएम नरेंद्र मोदी ने देखा था। उनका ये सपना अब साकार होता नजर आ रहा है।
शहर विधायक आकाश सक्सेना ने कहा कि लाइब्रेरी में ऐसी बहुत सी कलाकृतियां मौजूद हैं। कहा कि मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो सपना है कि रामपुर की रजा लाइब्रेरी विश्वपटल पर आ जाए, मुझे लगता है कि वह सपना अब दूर नहीं है, वह सपना पूरा होगा।
प्रदर्शनी के उद्घाटन के बाद कार्यक्रम का आगाज सैयद नवेद कैसर के भक्तिमय गीत एवं डा. प्रीति अग्रवाल और पूनम सैनी द्वारा श्रीराम स्तुति से हुआ। इस मौके पर शहर विधायक ने कहा कि आज जो कार्यक्रम आप लोगों ने प्रस्तुत किया है उससे यह बात बिल्कुल साबित हो गई है कि अपनी लाइब्रेरी सर्वगुण सम्पन्न है। यहां किताबों के अतिरिक्त जो प्रतिभाएं हैं ये भी आज देखने को मिलीं। इस बात पर भी ध्यान दिया जायेगा कि जो प्रतिभाएं हैं उन्हें भी आगे मौका दिया जायेगा।
कहा कि इस प्रदर्शनी के द्वारा जो प्रस्तुत किया गया है वह सभी को पता है कि आने वाली 22 तारीख को प्रभु श्रीराम 500 वर्षों के बाद अपने घर में विराजमान हो रहे हैं। जिस तरीके से दीपावली का पर्व अयोध्या में मनाया जाता था, जब प्रभु श्रीराम अयोध्या में आए थे, उसी प्रकार से 22 जनवरी 2023 को हम यह पर्व पूरे देश में मना रहे हैं।
इसी कारण रामपुर रजा लाइब्रेरी में इस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। कहा कि मेरी सभी से गुजारिश है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में ये सूचना बाहर के लोगों को भी दें और रामपुर के लोगों को भी दें जिससे रजा लाइब्रेरी की जो कलाकृतियाँ हैं, पाण्डुलिपियां हैं उनको देखें। कहा कि रजा लाइब्रेरी एक ऐसा नायाब खजाना है जहां पर हजरत अली जी साहब के हाथ से लिखा कुरआन है।
सुमेरचन्द जी के हाथ से लिखी वाल्मीकि रामायण यह अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है कि जो वाल्मीकि रामायण है। हजरत अली के हाथ की लिखी हुई कुरआन मजीद की प्रतिलिपि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति को अपनी ईरान यात्रा के दौरान भेंट की थी। इस अवसर पर लाइब्रेरी एवं सूचना अधिकारी डस. अबुसाद इस्लाही, वरिष्ठ तकनीकी रेस्टोर अरुण कुमार सक्सेना, वरिष्ठ तकनीकी रेस्टोरर सैयद तारिक अजहर, तकनीकी रेस्टोर हिमांशु सिंह एवं लाइब्रेरी के अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे। संचालन शबाना अफसर ने किया। अन्त में सनम अली खान ने सभी का आभार जताया।
प्रदर्शनी में आकर्षण का केंद्र है बिस्मिल्लाह से शुरू हुई फारसी में लिखी रामायण
22 जनवरी को भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में 17 जनवरी से शुरू हुई प्रदर्शनी में रखी मुगलकाल की फारसी में लिखी गई रामायण आकर्षण का केंद्र है। फारसी रामायण की शुरूआत सुमेर चंद ने बिस्मिल्लाह अर-रहमान-निर रहीम से की है। सुमेर चंद्र ने वर्ष 1713 में वाल्मीकि रामायण का फारसी में अनुवाद किया था।
प्रसिद्ध इतिहासकार नफीस सिद्दीकी बताते हैं कि सुमेरचंद ने मुगल बादशाह फर्रुखिसयार के कहने पर वाल्मीकि रामायण का अनुवाद फारसी में किया था। फारसी में लिखी रामायण की लिखावट सोने के पानी से की गई है। इसके अलावा मुगल शैली में बने 258 चित्रों को भी संजोया गया है। जिसमें भगवान राम, माता सीता और रावण अलग दिखते हैं। फारसी में अनुवादित रामायण तीन खंड में है। इसमें बाल खंड, सीता हरण और हनुमान मिलन नाम के खंड हैं।
इस अवसर अभिनव जैन (आईएएस) ज्वाइंट मजिस्ट्रेट, रामपुर ने कहा कि 22 तारीख तक हम पूरे प्रदेश में, पूरे देश में, हम ये रामोत्सव मना रहे हैं और सभी मन्दिरों में सब जगहों पर स्वच्छता का अभियान भी चला रहे हैं, लेकिन ये कार्यक्रम, प्रदर्शनी जो हम कर रहे हैं यह अपने-आप में अनोखी है। कहा कि यह रामपुर की देन है, रामपुर की तरफ से समर्पित है, रामोत्सव की इस प्रदर्शनी में अपना योगदान देने के लिए हम कैसे हमारी लाइब्रेरी में जो पाण्डुलिपियां हैं, चित्र हैं, कलाकृतियाँ है उनके माध्यम से हम रामायण को दोबारा जी सकते हैं।
प्रदर्शनी में इनको किया गया है प्रदर्शित
प्रदर्शनी में लाइब्रेरी में संग्रहित रामायण की विभिन्न भाषाओं की पाण्डुलिपियों एवं दुर्लभ मुद्रित पुस्तकों सन् 1627 में फारसी में मुल्ला मसीह पानीपती द्वारा अनुवादित रामायण, 18वीं शताब्दी की उर्दू में घासीराम द्वारा लिखित रामलीला, 1825 ई० में अहमद खां गफलत द्वारा लिखित किस्सा राम सीता, टीकाकार पंडित ज्वाला प्रसाद मिश्र की टीका रामायण श्री गोस्वामी तुलसीदासकृत, वाल्मीकि रामायण वाल्मीकिकृत टीकाकार पंडित राजाराम संस्कृत प्रोफेसर, सन् 1847 में राजा राम वर्मा टीकाकार की टीका आध्यात्म रामायण सेतु एवं अन्य रामायण से सम्बन्धित पाण्डुलिपियों और रामायण के ब्लोअप्स् को प्रदर्शित किया गया है।
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